कानपुर : 7 साल में 5000 क्लब फुट ग्रस्त बच्चों को बनाया चलने के काबिल   

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Published By Vinay Shukla
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जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में हुआ इलाज 

कानपुर : अगर जन्म के बाद बच्चे का पैर अंदर की ओर मुड़ा हो या कुछ समय बाद बच्चे को चलने में समस्या आए या वह लंगड़ाकर चले तो यह क्लब फुट के संकेत हो सकते है, इस समस्या से ग्रस्त होने पर अभिभावकों को बिना देरी किए बच्चे के इलाज कराना चाहिए। क्योंकि लापरवाही की वजह से यह समस्या बढ़ सकती है। क्लब फुट अब लाइलाज भी नहीं है। क्योंकि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में सात सालों में आए 5000 क्लब फुट ग्रस्त बच्चे चलने के काबिल बने है।  

हैलट अस्पताल के अस्थि रोग विभाग की ओपीडी में गुरुवार को क्योर इंडिया फाउंडेशन व अस्थि रोग विभाग ने क्लब फुट डे का आयोजन किया, जिसमे घोषणा की गई कि राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत क्योर इंडिया फाउंडेशन द्वारा देश के विभिन्न अस्पतालों व चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में 10 जून तक क्लब फुट सप्ताह मनाया जाएगा। अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय कुमार ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर में क्लब फुट विकार से ग्रस्त जन्में बच्चों के माता-पिता को इस विकार से अवगत करवाना है और यह बताना है कि यह बीमारी लाइलाज नहीं है। बच्चों के पूर्ण रूप से ठीक होने तक उपचार के लिए प्रेरित करना है, ताकि क्लब फुट ग्रस्त बच्चे भी आम बच्चों की तरह खेल व दौड़ सके। बताया कि विभाग में सात सालों में 5000 से अधिक बच्चे क्लब फुट विकार से ग्रस्त आए, जिनका पूर्ण रूप से इलाज किया जा चुका है। इनके अलावा अभी अन्य बच्चों का इलाज चल रहा है। यह बीमारी जन्म से होती है और बच्चे के पैर में टेढ़ापन होता है। 

गंभीर स्थिति में सर्जरी से मिलती निजात 
डॉ.रवि गर्ग ने बताया कि ओपीडी में क्लब फुट क्लीनिक का उद्देश्य जन्मजात टेढ़े पैरों का इलाज तत्काल प्रभाव से शुरू करना है। जब क्लब फुट ज्यादा गंभीर स्थिति में होता है, तो ऐसी स्थिति में सर्जरी ही बेहतर विकल्प होता है। सर्जरी में बच्चे के पैर के टेंडेंस, लिगामेंट्स, हड्डियों और जोड़ों को उनकी सही जगह पर किया जाता है। सर्जरी के बाद बच्चे को कुछ महीनों तक कास्ट पहनाया जाता है और कास्टिंग के बाद ब्रेसिंग की सलाह भी दी जाती है। बताया कि क्लब फुट के संबंध में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना जरूरी है, ताकि ग्रस्त बच्चों को सही इलाज मिल सके। 

इस वजह से हो जाती है यह विकृति 
डॉ.फहीम अंसारी ने बताया कि क्लबफुट सामान्य भी हो सकती है और कुछ परिस्थितियों में यह स्थिति गंभीर भी हो सकती है। यह शिशु के एक पैर या दोनों पैरों में भी दिखाई दे सकती है। पैर की मांसपेशियों को पैर की हड्डियों से जोड़ने वाले टेंडेंस के छोटे और तंग होने के कारण यह विकृति होती है जिस कारण शिशु का पैर अंदर की तरफ मुड़ जाता है। अगर गंभीर स्थिति न हो तो बच्चे को पांच से सात सप्ताह तक प्लास्टर लगाकर इसे ठीक किया जा सकता है। वहीं, गर्भ में शिशु का विकास रूक जाने या न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट होने से भी बच्चों को यह समस्या हो सकती है। बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य कानपुर, उत्तर प्रदेश और देश को स्वस्थ भारत बनाने में सहयोग करना है।

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