बाराबंकी: चिटफंड कम्पनी के पूर्व मैनेजर ने बाग में फंदा लगाकर दी जान, 2 माह पहले जेल से हुआ था रिहा

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

सिरौलीगौसपुर/बाराबंकी, अमृत विचार। थाना सफदरगंज क्षेत्र के भवानीपुर मजरे केवलापुर गांव में शनिवार सुबह उस वक्त सनसनी फैल गई, जब गांव के बाहर एक आम के बाग में एक व्यक्ति का शव पेड़ से लटका मिला। मृतक की पहचान स्वामी दयाल मिश्रा (50) के रूप में हुई, जो पहले गोंडा स्थित एलयूसीसी चिटफंड कंपनी में मैनेजर थे।

जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह करीब 6 बजे ग्रामीणों ने शव को आम के पेड़ से साड़ी के फंदे से लटका देखा तो तत्काल पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। बताते चले कि स्वामी दयाल मिश्रा पर चिटफंड कंपनी में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगा था। 

लगभग छह-सात महीने पहले इसी मामले में उन्हें जेल भी भेजा गया था। दो महीने पहले वह जेल से रिहा होकर गांव लौटे थे, लेकिन उन्होंने घर से अलग गांव के बाहर खेत में बने एक छोटे से मकान में अकेले रहना शुरू कर दिया था। उनके परिवार के अन्य सदस्य गांव में ही रहते हैं।

थानाध्यक्ष अमर कुमार चौरसिया ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों ने बताया कि स्वामी दयाल कुछ समय से मानसिक रूप से तनाव में चल रहे थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

फर्जी चिटफंड केस में नाम आने के बाद तनाव से घिरे हुए थे स्वामी दयाल

बहुचर्चित 75 करोड़ के चिटफंड घोटाले में नाम आने के बाद जेल जा चुके स्वामी दयाल मिश्रा की शनिवार सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने कई अनसुलझे सवाल पीछे छोड़ दिए हैं। घटना को लेकर परिजनों का कहना है कि जेल से जमानत पर आने के बाद वह डिप्रेशन में रहने लगे थे। 

मृतक स्वामी दयाल मिश्रा (50) के बड़े बेटे अखिलेश कुमार मिश्रा ने बताया कि उनके पिता वर्ष 2015 में 'लोनी अर्बन मल्टीस्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड' (LUCC) से जुड़े थे और गोंडा जिले में कार्यरत थे। उन्होंने जितनी भी रकम उपभोक्ताओं से जमा कराई, वह सीधे कंपनी में जमा की। फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद जब बदोसराय थाने में मुकदमा दर्ज हुआ तो कंपनी से जुड़े अन्य लोगों के साथ उनके पिता को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

जमानत पर रिहा होने के बाद से स्वामी दयाल मानसिक रूप से काफी परेशान रहने लगे थे। खाना-पीना छोड़ दिया था और बातचीत भी कम कर दी थी। परिजनों के अनुसार शुक्रवार को मुकदमे की पेशी से लौटने के बाद वह और अधिक उदास नजर आ रहे थे। शनिवार सुबह उनका शव गांव के बाहर आम के बाग में पेड़ से लटकता मिला।

बता दें कि मृतक की सामाजिक छवि अच्छी थी और वर्ष 2021 में वह प्रधानी का चुनाव भी लड़ चुके थे, जिसमें वह रनरअप रहे थे। परिवार के अनुसार स्वामी दयाल पर कोई सीधा आपराधिक मुकदमा नहीं था, लेकिन कंपनी से जुड़े होने के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

संबंधित समाचार