KGMU गोल्डन जुबली सेलिब्रेशनः यादों की चाशनी में सराबोर हुए केजीएमयू के पुरातन छात्र.... 50 साल बाद लौटे डॉक्टर, फिर गूंजे पुराने दोस्तों के ठहाके
केजीएमयू में 1975 बैच के छात्रों का हुआ सम्मेलन
लखनऊ, अमृत विचार : केजीएमयू में सोमवार को 1975 बैच के पूर्व छात्रों के लिए गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन का आयोजन किया गया। जिसमें देश–दुनिया में नाम रोशन कर रहे करीब 150 पूर्व छात्र शामिल हुए। इनमें कोई 10 तो कोई 50 वर्ष बाद केजीएमयू पहुंचा। एक दूसरे से मिले तो पुरानी यादें ताजा हो गईं। कैंपस में कदम रखते ही पुरानी गलियों, हॉस्टल के कमरों और क्लासरूम की शरारतों की स्मृतियां जीवंत हो उठीं।
ब्राउन हॉल में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और प्रगति पर प्रकाश डाला। वर्षों बाद मिले साथियों ने एक-दूसरे को गले लगाकर खुशी जताई। जूनियर छात्रों ने अपने सीनियरों का पुराने दिनों की तरह अभिवादन किया। सम्मेलन में पहुंचे पूर्व शिक्षक अपने शिष्यों को देख भावुक हो उठे, उन्हें आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम के बाद पूर्व छात्र अपने क्लासरूम और हॉस्टल पहुंचे। जहां कभी पढ़ाई और मस्ती के दिन गुजारे थे, वहां फिर से कदम रखकर सभी की आंखें नम हो गईं। पूरे परिसर का भ्रमण कर पूर्व छात्रों ने अपनी सुनहरी यादों को एक बार फिर ताजा किया।
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नाटक में फूटे प्रेम के अंकुर, हो गया जीवन भर का साथ
सम्मेलन में 1975 बैच के डॉ. निशीत जेटली और उनकी पत्नी डॉ. यशी भारद्वाज भी शामिल हुईं। ये दंपति सहपाठी थे। डॉ. निशीत ने बताया केजीएमयू के वार्षिक उत्सव में एक नाटक का मंचन हुआ था। उस नाटक का नाम उल्टी गंगा था। नाटक में यशी ने पति और डॉ. निशीत ने पत्नी की भूमिका निभाई थी। नाटक में दिखाया गया था कि यदि पति को पत्नी की जिम्मेदारी निभानी पड़े तो कैसा होता है। निशीत के मुताबिक उस समय उनका प्रेम एक दूसरे के प्रति जाग गया और जीवनभर का साथ निभाने की ठान ली। परिवार की रजामंदी से शादी की। दो बच्चे हैं। आज दोबारा कॉलेज आने का मौका मिला। यहां हर उस जगह पर गए जहां दोनों अक्सर मिला करते थे।
आज भी याद है इमरजेंसी का पहला लेक्चर
डॉ. यूके जैन ने बताया कि वह मेरा पहला लेक्चर था जब 1975 बैच के डॉक्टरों को पढ़ाया था। उस बैच के दौरान देश में इमरजेंसी लगी थी। तब और अब के केजीएमयू में बड़ा सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। कई नए विभाग शुरू हुए हैं। आज इन बैच के अपने छात्रों से मिला तो बहुत सारी खट्टी-मीठी यादें ताजा हो गईं। केजीएमयू के पढ़े छात्र देश दुनिया में संस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं।
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ऐसे लगा जैसे फिर वो दौर वापस आ गया
पूर्व छात्र डॉ. राकेश कपूर ने कहा कि, आज शिक्षकों और सहपाठियों से मिलकर ऐसा लगा जैसे फिर उसी दौर में आ गए हैं। ब्राउन हॉल की कुर्सियों को देख कर बहुत सारी यादें ताजा हो गईं। केजीएमयू से हमें बड़ा मुकाम मिला। पीजीआई जैसे संस्थान का निदेशक रहा अब मेदांता अस्पताल की जिम्मेदारी निभा रहा हूं। आज क्लासरूम जाने के साथ पूरे परिसर का भ्रमण किया। पहले से बहुत बदलाव दिखा।
रैगिंग में भी रहता था अपनापन
पूर्व छात्र डॉ. जीके थपलियाल ने बताया कि उस समय रैंगिंग बहुत होती थी। चूंकि मैं लखनऊ विश्वविद्यालय का भी छात्र था। यहां एडमिशन लेने के दौरान रैगिंग से बचने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय भाग जाता था। उस समय सीनियर कई तरह से प्रणाम कराकर रैगिंग करते थे,लेकिन उसमें भी अपनापन होता था। हमेशा अपने जूनियर का सपोर्ट करते थे। किसी रेस्टोरेंट में मिलने पर खाने-पीने का बिल सीनियर ही देते थे। यहां से निकलने के बाद हमने आर्मी ज्वॉइन कर ली। 35 से अधिक वर्ष तक सेना में रहा। मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुआ। अब सुभारती ग्रुप का डायरेक्टर जनरल हूं।
रैगिंग तो थी, लेकिन अदब वाली
केजीएमयू में पढ़े डॉ. अनिल गोयल दिल्ली के कृष्णानगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उन्होंने बताया कि उनके समय सीनियर सिर नीचे करके चलो, बाल छोटे रखो, मुर्गा बनाने की रैगिंग करते थे, लेकिन उस रैगिंग में अदब रहता था। सीनियर रैगिंग से सेवा भाव सिखाते थे। आज उनकी सिखाई बातें काम आ रहीं हैं। यहां से निकलने के बाद हमने मरीजों और समाज की सेवा की। आरएसएस से जुड़ गया फिर चुनाव में उतरा तो जनता ने विधायक बना दिया।
