आपातकाल लगा निजीकरण की तैयारी, संघर्ष समिति ने पूछा-किस बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर हो रहा Privatization

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऊर्जा निगमों में आपातकाल लगाकर निजीकरण का टेंडर जारी करने की कोशिश की जा रही है। समिति ने सवाल किया कि आखिर किस ‘बिडिंग डॉक्यूमेंट’ के आधार पर निजीकरण किया जा रहा है। समिति ने इसे सार्वजनिक करने की मांग की। इस बीच, टेंडर जारी होते ही जेल भरो आंदोलन शुरू करने की तैयारी को लेकर सोमवार को झांसी व पारीछा में आम सभा हुई।

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे व अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली अभियंता, अवर अभियंता व अन्य बिजली कर्मी पूरी तरह सतर्क हैं। प्रबंधन की ऐसी किसी भी साजिश का करारा जवाब दिया जाएगा। पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार टेंडर जारी होते ही बिजली कर्मी किसानों व गरीब-मध्यम वर्गीय घरेलू उपभोक्ताओं के साथ मिलकर सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे। इससे उत्पन्न किसी भी स्थिति की सारी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।

संघर्ष समिति ने कहा कि सितम्बर 2020 में केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए एक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी कर इस पर सभी स्टेक होल्डर्स के ‘कमेंट’ मांगे थे। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इस ड्राफ्ट पर आपत्ति दर्ज की थी। केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 के स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को आज तक फाइनल नहीं किया है। केंद्र सरकार ने इसे वापस भी नहीं लिया, अब इसमें बदलाव कर निजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने राज्य विद्युत नियामक आयोग की सलाह के बगैर ऊर्जा निगमों के निजीकरण का टेंडर निकालने की तैयारी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यह आरोप लगाते हुए सोमवार को नियामक आयोग में याचिका दाखिल की। नियामक आयोग ने सलाहकार कंपनी की रिपोर्ट पर अभी अंतरिम रिपोर्ट दी है। इसमें तमाम वित्तीय खामियां सामने आई हैं। कॉरपोरेशन की ओर से अंतरिम रिपोर्ट का जवाब मिलने के बाद नियामक आयोग वृहद रिपोर्ट जारी करेगा।

याचिका में परिषद ने आरोप लगाया कि 28 जून को टेंडर पोर्टल में बदलाव के लिए नेशनल इनफॉर्मेटिव सेंटर (एनआईसी) के साथ गोपनीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई, जिसमें आयोग की बगैर सलाह के टेंडर निकालने पर जोर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन हर आंकड़े और दस्तावेज छिपाने की जुगत में है, पर उपभोक्ता परिषद प्रबंधन की मंशा को पूरा नहीं होने देगा। उन्होंने नियामक आयोग से इस प्रकरण में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। 

उन्होंने आरोप लगाया कि उद्योगपतियों को ज्यादा से ज्यादा फायदा देने के लिए तैयार किया गया टेंडर कोई जान न पाए और कोई भी न देख न पाए, इसके लिए 28 जून को पावर कॉरपोरेशन के उच्च अधिकारियों कंसलटेंट और टेंडर पोर्टल नेशनल इनफॉर्मेटिव सेंटर (एनआईसी) की एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई थी। बताया जा रहा है कि बैठक में तय किया गया कि कोई भी आम लोग कोई भी टेंडर को किसी भी हालत में न देख पाए। नई व्यवस्था के तहत 5 लाख रुपये में जो टेंडर खरीदेगा, सबसे पहले उसे पावर कॉरपोरेशन के साथ नॉन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट (गैर प्रकटीकरण समझौता ) करना पड़ेगा कि वह टेंडर को किसी को न दिखाएगा और न देगा।

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