CIFF 2025: भारतीय सिनेमा, संस्कृति और कहानियों का शानदार उत्सव

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Published By Muskan Dixit
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नई दिल्ली: भारत की 79वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ के अवसर पर देशभर में विविध आयोजनों का दौर जारी है। इसी कड़ी में 8 से 10 अगस्त तक सीरी फोर्ट रोड पर स्थित एनसीयूआई सभागार में 'सेलिब्रेटिंग इंडिया फिल्म फेस्टिवल (सीआईएफएफ 2025)' का आयोजन हुआ। तीन दिनों तक चले इस समारोह ने भारत की कहानियों, सपनों और भावनाओं को सिनेमा के पर्दे पर जीवंत किया। यहाँ सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्र की सांस्कृतिक धड़कन बनकर उभरा।

''पहला दिन: इतिहास और मानवीय संवेदनाओं का संगम''  

फेस्टिवल के पहले दिन मशहूर निर्देशक मधुर भंडारकर की फिल्म 'इंडिया लॉकडाउन' ने महामारी के दौर में मानवीय संघर्षों की मार्मिक कहानी प्रस्तुत की। इसके बाद अभिनेता मनोज कुमार की 187 मिनट की ऐतिहासिक फिल्म 'क्रांति' ने दर्शकों को स्वतंत्रता संग्राम की गहराइयों में ले जाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। बीटा हॉल में 'बही' और 'पंख' जैसी लघु फिल्मों ने व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं की गहरी परतों को उकेरा। शाम को अल्फा हॉल में निर्देशक आर.एस. प्रसन्ना ने रूढ़ियों को तोड़ने और सांस्कृतिक समावेशिता पर खुली चर्चा की, जिसने दर्शकों को गहरे सोच में डाल दिया।

''दूसरा दिन: परंपरा और नवाचार का मेल''  

दूसरे दिन की शुरुआत 'उमराव जान' के पुनर्स्थापित संस्करण के साथ हुई, जिसमें रेखा की बेजोड़ अभिनय ने दर्शकों को फिर से मंत्रमुग्ध किया। 'वेंकी' और 'सुंदरपुर कैओस' जैसी फिल्मों ने क्षेत्रीय सिनेमा की ताकत और विविधता को प्रदर्शित किया। फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड द्वारा चुनी गई लघु फिल्मों जैसे 'बेहरुपिया' और 'विरुंधु' ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा। वहीं, 'पवाझा', 'कोरल्स' और 'कुलिनरी हेरिटेज ऑफ इंडिया' जैसी वृत्तचित्रों ने भारत की समृद्ध परंपराओं और विविधता को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। गायिका हेमा सरदेसाई की प्रस्तुति 'फ्रॉम भावना टू बीट' ने भारतीय संगीत की बदलती धारा पर भावपूर्ण चिंतन पेश किया। दिन का समापन 'ए बॉय हू ड्रीम्ट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी' के साथ हुआ, जो विपरीत परिस्थितियों में सपनों को जीने की प्रेरक कहानी थी।

''अंतिम दिन: कला, संस्कृति और प्रेरणा का उत्सव''  

फेस्टिवल का अंतिम दिन 'कॉल मी डांसर' के साथ शुरू हुआ, जिसने नृत्य और कला के माध्यम से प्रेरणा दी। मराठी फिल्म 'मुखाम पोस्ट देवणाचा घर' की भावपूर्ण प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया। एफटीआईआई के शॉर्ट्स स्पेक्ट्रम खंड में रमन कुमार की कैफ़ी आज़मी पर बनी फिल्म, पायल कपाड़िया की 'एंड व्हाट इज़ द समर सेइंग' और चिदानंद नाइक की 'सनफ्लॉवर्स वेयर द फ़र्स्ट वन्स टू नो' जैसी रचनाओं ने दर्शकों को प्रभावित किया। दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा, "सीआईएफएफ भारत की सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर का जीवंत उत्सव है। यहाँ का हर दृश्य हमारे बदलते भारत की कहानी बयां करता है। अगला सीआईएफएफ दिल्ली सरकार के सहयोग से और भी भव्य होगा।"  

इसके बाद अभिनेत्री गीतांजलि मिश्रा ने अपने अभिनय अनुभव साझा किए, जबकि ग्रैमी विजेता रिकी केज की प्रस्तुति 'गांधी: मंत्र ऑफ कम्पैशन' ने पारंपरिक भारतीय वाद्ययंत्रों और आधुनिक ऑर्केस्ट्रा के अनूठे मिश्रण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, "सीआईएफएफ 2025 दिल्ली की कलात्मक आत्मा का प्रतीक है। हम जल्द ही नई राज्य फिल्म नीति लाने जा रहे हैं, जो फिल्म टूरिज्म को बढ़ावा देगी और बड़े फिल्म समारोहों को प्रोत्साहित करेगी।"  

समापन समारोह

समापन समारोह में सांसद मनोज तिवारी, राजीव शुक्ला, डॉ. अन्नू कपूर, भारतबाला, रिकी केज और हेमा सरदेसाई जैसी जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की। यह आयोजन भारतीय सिनेमा, संस्कृति और कहानियों के उत्सव का एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया।

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