बाबा रामदेव को लेकर फिर बिगड़े पूर्व सांसद के बोल, अटल पुण्यतिथि कार्यक्रम में दिया विवादित बयान

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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बलरामपुर, अमृत विचार : भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की सातवीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह ने बाबा रामदेव को लेकर तीखी टिप्पणी की, जो देखते ही देखते चर्चा का विषय बन गई। मंच से संबोधन करते हुए उन्होंने कहा कि “रामदेउवा राम देव काना जिसके नाम पर कमा खा रहा है महर्षि पतंजलि, उनका भी इतिहास यहीं से मिलता है। वह महर्षि पतंजलि के नाम पर पूरे देश को बेवकूफ बना रहा है।” उनके इस वक्तव्य को कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने आश्चर्य के साथ सुना और बाद में यह बयान सोशल मीडिया व स्थानीय राजनीतिक गलियारों में सुर्खियों में आ गया।

कार्यक्रम में वाजपेयी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बोलते हुए पूर्व सांसद ने उन्हें “युग पुरुष” बताया। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय राजनीति में संवाद, सौजन्य और विकासोन्मुखी सोच की परंपरा स्थापित की। इस अवसर पर उन्होंने वाजपेयी के भाषण कौशल, काव्य-प्रतिभा और राष्ट्रीय एकता पर उनके जोर को याद किया। पूर्व सांसद ने कहा कि वाजपेयी का जीवन जनसेवा के लिए समर्पित रहा और नई पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

हालांकि, इसी दौरान बाबा रामदेव और पतंजलि को लेकर दिए गए बयान ने कार्यक्रम का केंद्र बदल दिया। पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि योग और आयुर्वेद की परंपरा का हवाला देकर व्यापारिक फायदे उठाए जा रहे हैं। उनके अनुसार, “महर्षि पतंजलि के नाम का सहारा लेकर जनता को गुमराह किया जा रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि परंपरा और विरासत का सम्मान होना चाहिए, परन्तु उसके नाम पर भ्रम फैलाना ठीक नहीं।

कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद थे। मंच से वक्ताओं ने वाजपेयी के आदर्शों सुसंवाद, सुशासन और समावेशी विकास पर चर्चा की। आयोजकों ने बताया कि पुण्यतिथि पर आयोजित यह कार्यक्रम श्रद्धांजलि, विचार-गोष्ठी और कवि-सम्मेलन के रूप में रखा गया था, ताकि नई पीढ़ी वाजपेयी की राजनीतिक शुचिता और राष्ट्रीय दृष्टि से परिचित हो सके।

पूर्व सांसद के बयान पर कार्यक्रम स्थल पर तत्काल कोई हंगामा नहीं हुआ, लेकिन वक्तव्य के बाहर आते ही इसे लेकर बहस छिड़ गई। कुछ लोगों ने इसे व्यक्तिगत टिप्पणी करार देते हुए असहमति जताई, वहीं समर्थकों का कहना था कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता पर सवाल उठाना लोकतांत्रिक अधिकार है। फिलहाल इस टिप्पणी पर बाबा रामदेव या पतंजलि की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

उधर, आयोजकों ने स्पष्ट किया कि कार्यक्रम का मूल उद्देश्य वाजपेयी जी के जीवन से प्रेरणा लेना था। उन्होंने अपील की कि चर्चा का केंद्र वाजपेयी के विचार और आदर्श ही बने रहें। पूर्व सांसद ने अपने संबोधन के अंत में वाजपेयी की कविता पंक्तियों का हवाला देते हुए जनता से राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने का आह्वान किया।

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