उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कर्मचारियों की भारी कमी... आरटीआई की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) में कर्मचारियों की भारी कमी ने बोर्ड की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, बोर्ड में स्वीकृत 732 पदों में से 355 पद, यानी करीब 49 प्रतिशत, रिक्त हैं। यह स्थिति राज्य में प्रदूषण नियंत्रण और निगरानी की व्यवस्था को प्रभावित कर रही है।

रिक्त पदों का विवरण

यूपीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, ग्रुप ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ सभी श्रेणियों में कर्मचारियों की कमी है। बोर्ड ने बताया कि ग्रुप ‘सी’ के 115 रिक्त पदों को भरने के लिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया है, और यह प्रक्रिया अभी प्रगति पर है। हालांकि, रिक्तियों को भरने में देरी चिंता का विषय बनी हुई है।

भर्ती और सेवानिवृत्ति का आंकड़ा

बोर्ड ने खुलासा किया कि जुलाई 2024 से जुलाई 2025 के बीच 42 कनिष्ठ अभियंताओं को नियुक्ति पत्र जारी किए गए, लेकिन केवल 28 ने ही कार्यभार संभाला। इसी अवधि में, नोएडा क्षेत्रीय कार्यालय सहित 41 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए। इससे कर्मचारियों की कमी और गंभीर हो गई है।

उच्चतम न्यायालय के निर्देश और सीमित जानकारी

यूपीपीसीबी ने आरटीआई जवाब में बताया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार, 30 सितंबर 2025 तक रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी साझा नहीं की जा सकती, क्योंकि यह मामला उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष विचाराधीन है।

नोएडा में गंभीर स्थिति

नोएडा के पर्यावरण कार्यकर्ता अमित गुप्ता, जिन्होंने यह आरटीआई दायर की थी, ने बताया कि कर्मचारियों की कमी के कारण बोर्ड की प्रदूषण निगरानी क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा, “नोएडा जैसे अत्यधिक प्रदूषित शहर में, जहां वायु और जल प्रदूषण गंभीर समस्या है, वहां यूपीपीसीबी के कार्यालय में केवल पांच-छह कर्मचारी हैं। उच्चतम न्यायालय और एनजीटी के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद यह स्थिति बनी हुई है।”

कार्यकर्ता की अपील

गुप्ता ने उम्मीद जताई कि इस गंभीर मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मजबूत करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, ताकि उत्तर प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को गति मिल सके।”

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