ममीरा के अर्क से होगा गठिया का माकूल इलाज, जानें सीएसआईआर-एनबीआरआई की शोध और अध्ययन की उपलब्धियां
लखनऊ, अमृत विचार: सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) ने सोमवार को अपना 72वां वार्षिक दिवस मनाया। इस अवसर पर हनी बी नेटवर्क के संस्थापक एवं आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर प्रो. अनिल कुमार गुप्ता मुख्य अतिथि रहे। गणमान्य अतिथियों ने वर्ष 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन किया। निदेशक डॉ. अजीत कुमार शासनी ने प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया।
उन्होंने बताया कि गुलाबी बॉलवर्म प्रतिरोधी जीएम कपास विकसित कर एनबीआरआई ने वैश्विक सफलता हासिल की है, जिसका लाइसेंस अंकुर सीड्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है। इस नवाचार से संस्थान को अब तक चार करोड़ रुपये की आमदनी हुई है। वैज्ञानिकों ने 19 नई लाइकेन प्रजातियों की पहचान की और इम्पेतिएन्स लिनेई व एम्ब्लिका चक्रवर्ती जैसे नए पुष्पीय पौधे खोजे हैं।
गठिया और यूरोलिथियासिस के इलाज में ममीरा के अर्क से उम्मीदें
कॉप्टिस टीटा (ममीरा) के अर्क पर हुए शोध में गठिया और यूरोलिथियासिस के उपचार में इसकी प्रभावी उपयोगिता सिद्ध हुई है। वैज्ञानिकों ने यूआरओ-5 नामक फाइटोफार्मास्युटिकल उत्पाद का समर्थन किया, जो साक्ष्य-आधारित आयुर्वेद प्रणाली को प्रमाणित करता है। इसके अलावा, बायोचार-आधारित आर्सेनिक उपचार, सूक्ष्मजीव-सहायता प्राप्त प्रदूषण नियंत्रण तथा पर्यावरण-सुरक्षित वृद्धि वर्धक तकनीकें विकसित की गई हैं।
संस्थान ने स्तुति, सरस्वती, जगन्नाथ और पद्मा नामक चार नई गुलदाउदी किस्में जारी की हैं। 138 वर्षों बाद स्वेर्टिया वट्टी की पुनः खोज की गई है। हेरिटेज ट्री गार्डन और तुलसी गार्डन की स्थापना के साथ हर्बल गुलाल, सिंदूर, शिव भभूत और कमल-आधारित उत्पादों सहित 13 हरित प्रौद्योगिकियां उद्योग जगत को हस्तांतरित की गईं।
एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने 189 शोध पत्र प्रकाशित किए, 5 पेटेंट दाखिल किए और 23 नई परियोजनाएं शुरू कीं। संस्थान ने 29 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिससे शोध और उद्योग जगत के बीच साझेदारी को नई दिशा मिली।
