कानपुर : कारखाना विधेयक को मंजूरी, अब महिला कर्मचारी भी कर सकेंगी नाइट शिफ्ट
कानपुर, अमृत विचार। प्रदेश में सरकार की ओर से कारखाना विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद अब महिला कर्मचारी भी नाइट शिफ्ट कर सकेंगी। इसके लिए नियोक्ता को महिला कर्मचारी की लिखित मंजूरी लेना अनिवार्य है। इसी तरह विधेयक में अब कारखानों में काम की अवधि 12 घंटे कर दी गई है। हालांकि साप्ताहिक कार्य अवधि 48 घंटे से अधिक नहीं होगी। नए नियमों पर शहर के उद्यमियों ने इसे उत्पादन में तेजी का कदम बताया है।
खासतौर पर महिला कर्मचारियों के लिए बने नियम के तहत इसे उनके लिए लाभ दिए जाने वाला नियम बताया है। नए नियम पर शहर की महिला उद्यमियों ने कहा कि नियम से खासतौर पर महिला कर्मचारियों को सबसे अणिक लाभ होगा। पहले वे चाहकर भी नाइट शिफ्ट नहीं कर सकती थी। जिससे उनके ओवरटाइम का नुकसान हो जाता था। नए नियमों में अब यह बाधा दूर हो गई है।
प्रदेश सरकार के नए नियम नियोक्ता व कर्मचारी दोनो के लिए ही लाभदायक है। नियोक्ता को यह लाभ है कि उसका प्रोडक्शन अब बढ़ सकेगा। जिससे वह बाजार में अपना उत्पादन मांग के अनुरूप भेज सकेगा। इसी तरह कर्मचारियों को भी उसके अधिक अवधि के कार्य का अधिक भुगतान हो सकेगा। इससे उद्योग को बढ़ावा मिलेगा.. सौम्या टकरू, उद्यमी।
महिला कर्मचारियों को पहले नाइट शिफ्ट की अनुमति काफी जटिल प्रक्रिया था। अब महिला कर्मचारियों को भी नियम के तहत नाइट शिफ्ट करने की अनुमति मिल गई है। इससे महिला कर्मचारी को अधिक काम का अधिक भुगतान संभव हो सकेगा। वे अधिक लाभ कमा बेहतर जीवन जी सकेंगी... दीप्ती दुबे, उद्यमी।
ऐसी बहुत सी महिलाएं या युवतियां हैं जिनके लिए नाइट शिफ्ट करना काफी सहूलियत भरा हो सकता है। खासतौर पर ऐसी युवतियां जो दिन में पढ़ाई करती है। यदि वे रात में जॉब कर बेहतर वेतन हासिल कर सकती है तो उनके लिए सबसे अधिक लाभ है। इससे कई सेक्टर में लाभ होगा उत्पादन बढ़ेगा... अपूर्वा श्रीवास्तव, उद्यमी।
ऐसी युनिट जहां सौ में 25 महिला कर्मचारी है वहां पर कई बार नाइट शिफ्ट में महिला कर्मचारियों के न होने से उत्पादन पर असर पड़ता था। अब वह समस्या दूर हो जाएगी। उत्पाद बढ़ेगा तो कर्मचारियों व महिला कर्मचारियों को भी लाभ होगा। इस नियम से उद्योग को रफ्तार मिलेगी... प्रेरणा वर्मा, उद्यमी।
