Bareilly : शहर में निजी बस स्टैंड खोलने की योजना धड़ाम...नहीं मिल पा रहे आवेदक
बरेली, अमृत विचार। शहर की बढ़ती ट्रैफिक समस्या और बसों के अनियंत्रित संचालन पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने निजी बस अड्डों की स्थापना की मंजूरी दी थी। इसके साथ ही जिले में इसके लिए आवेदन मांगे गए थे। तीन माह बाद भी एक भी आवेदक सामने नहीं आया है।
प्रदेश सरकार की नई नीति के अनुसार, निजी बस अड्डा खोलने के लिए कम से कम दो एकड़ जमीन होना चाहिए। जमीन पर बसों के खड़े होने, यात्रियों के इंतजार और टिकटिंग की समुचित व्यवस्था करनी होगी। इसके अलावा यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए शौचालय, पेयजल, बैठने की जगह और सुरक्षा व्यवस्था भी होनी चाहिए। आवेदक की नेटवर्थ बीते वित्तीय वर्ष में कम से कम 50 लाख रुपये और टर्नओवर कम से कम दो करोड़ रुपये होना अनिवार्य है।
आरटीओ प्रवर्तन प्रणब झा ने बताया कि सरकार ने लगातार बढ़ती ट्रैफिक की चुनौतियों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश स्टेज कैरिज बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज व ऑल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क (स्थापना एवं विनियमन) नीति 2025 के तहत जिले के प्रमुख एंट्री प्वाइंट्स पर निजी बस अड्डे बनाए जाने की मंजूरी दी है। डीएम अविनाश सिंह की अध्यक्षता हुई बैठक में नीति से जुड़े दिशा-निर्देशों पर चर्चा कर अनुपालन कराने के निर्देश दिए गए थे। इसी कड़ी में मानकों को पूरा करने वाले इच्छुक लोगों से आवेदन मांग गए, लेकिन, तीन महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी किसी ने आवेदन नहीं किया है।
यह है बस अड्डे की स्थापना के लिए नियम
बस अड्डे की स्थापना के लिए आवेदक को एक जिले में दो से अधिक बस अड्डे-पार्क की स्थापना की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, एक ही मार्ग पर एक से अधिक बस अड्डों के संचालन की भी अनुमति नहीं मिलेगी। आवेदन स्वीकृत होने पर पहली बार 10 वर्ष के लिए अनुमति मिलेगी। इस अवधि में सही तरीके से संचालन पर अगले 10 वर्ष के लिए नवीनीकरण किया जा सकेगा। नीति के मुताबिक, अनुमति मिलने के बाद एक वर्ष से पहले आवेदक किसी दूसरी विधिक इकाई को बस अड्डे के स्वामित्व का हस्तांतरण नहीं कर सकेगा। अनियमित संचालन आदि अन्य स्थितियों में नियामक प्राधिकारी संचालक को सुनवाई का अवसर देने के बाद अनुमति के निलंबन या निरस्तीकरण का निर्णय भी कर सकेगा।
अभी नहीं है कोई निजी बस स्टैंड बरेली में
शहर में अभी कोई निजी बस स्टैंड नहीं है। ऐसे में निजी बसें सड़कों पर और सार्वजनिक स्थानों पर खड़ी होती हैं। इन बसों की वजह से कई बार जाम लगने पर विवाद होता है, ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग संयुक्त रूप से अभियान चलाकर समय-समय पर ऐसे वाहनों पर कार्रवाई भी करते हैं। वहीं, परिवहन निगम के बस अड्डों पर बसों की संख्या के अनुरूप पर्याप्त पार्किंग न होने से रोडवेज बसें भी सड़कों पर खड़ी होती हैं। बस-पार्क स्टैंड बनने से ऐसी समस्याएं खत्म होंगी।
