शेख हसीना को मिली सजा-ए-मौत... बांग्लादेश कोर्ट ने सुनाया फैसला, हिंसा में मारे गए थे 1400 प्रदर्शनकारी
ढाका। बंगलादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) ने सोमवार को गत वर्ष देश में हुए विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ घातक कार्रवाई करने के आधार पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना मौत की सजा सुनाई। न्यायाधिकरण ने पूर्व सीएम हसीना के अलावा पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मौत की सजा सुनायी, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पांच साल की कैद की सजा सुनायी है। न्यायाधिकरण ने इन दोनों को 'मानवता के विरुद्ध विभिन्न अपराधों ' के लिए दोषी ठहराया था। गौरतलब है कि शेख हसीना इस समय भारत में निर्वासन में रह रही हैं।
विरोध प्रदर्शनों के दौरान घातक कार्रवाई को लेकर हसीना, कमाल और अल-मामून के खिलाफ मुकदमा चलाया गया था। न्यायाधिकरण की ओर आज फैसला सुनाये जाने के दौरान अल-मामून उपस्थित रहे। अल-मामून ने जुलाई में अपना दोष स्वीकार किया था और सरकारी गवाह बन गए थे। न्यायाधिकरण के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शेख हसीना ने 2024 में बंगलादेश में कई हफ़्तों की अशांति के दौरान क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों को सैकड़ों हत्याओं के लिए उकसाया। इस दौरान लगभग 1,400 प्रदर्शनकारी मारे गए और 25,000 तक घायल हुए। शेख हसीना पर पाँच आरोप लगाये गये थे, जिनमें हत्या के लिए उकसाना, फाँसी का आदेश देना और विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए घातक हथियारों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल को अधिकृत करना शामिल है।
हसीना ने हालांकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिये कई साक्षात्कारों में खुद पर लगे इन सभी आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए इस्तेमाल की गई गोलियां बंगलादेश पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गोलियों से अलग थीं। कई विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि ये गोलियाँ असमाजिक तत्वों द्वारा चलाई गयी थीं।
हसीना की कानूनी टीम ने 'निष्पक्ष सुनवाई के अधिकारों और उचित प्रक्रिया के अभाव' का हवाला देते हुए, न्यायेतर, संक्षिप्त या मनमाने ढंग से की गयी सुनवाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि से अपील की है। यह मामला जुलाई 2024 के जन विद्रोह के दौरान किए गए कथित अपराधों से संबंधित है, जिससे व्यापक हिंसा भड़क उठी थी और अवामी लीग सरकार का पतन हो गया था। गौरतलब है कि बंगलादेश में अगले साल फरवरी में राष्ट्रीय चुनाव होने वाले हैं, जिनमें अवामी लीग के शामिल नहीं होने की संभावना है।
