प्राण प्रतिष्ठा के दो वर्ष पूरे... भव्य होगा राममंदिर वार्षिक उत्सव, शामिल होगी राष्ट्रपति मुर्मू
अयोध्या, अमृत विचार। श्रीराम जन्मभूमि परिसर में स्थित मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दो वर्ष पूरे होने पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भव्य वार्षिक उत्सव का आयोजन करने की तैयारी कर रहा है। ट्रस्ट के मुताबिक रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 (पौष शुक्ल द्वादशी) को हुई थी। वर्ष 2026 में पौष शुक्ल द्वादशी 10 जनवरी को है। इस दिन मंदिर के द्वितीय तल श्रीराम महायंत्र की स्थापना की जागी। कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आने की संभावना है।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में रामलला के द्वितीय वार्षिकोत्सव पर श्री रामकथा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए मंदिर परिसर को रंग-बिरंगे लाइट और फूलों से भी सजाया जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने शुक्रवार को बताया कि कांची कमकोटि के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी विजयेंद्र सरस्वती की ओर से स्वर्ण से निर्मित श्रीराम महायंत्र को पूजित किया गया था। जिसकी द्वितीय तल पर स्थापना की जाएगी। इसके अलावा विभिन्न देश की परंपराओं और भाषाओं में लिखी रामायण की प्रतियां का संग्रह किया जाएगा। हालांकि इस स्थान पर किसी के भी आने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने बताया कि द्वितीय तल पर फिनिशिंग का कार्य दिसंबर के अंत तक पूरा कर दिया जाएगा।
उन्होंने राम मंदिर के 800 मीटर की परिधि में बने छह मंदिरों और शेषावतार मंदिर के शिखर पर ध्वज की स्थापना किए जाने को लेकर कहा कि राम मंदिर की स्थापना तो हो गई लेकिन राम राज्य अभी आना है। समदा का राज्य, एकता का राज्य,वंचितों का राज्य को साकार करने में हम सब लोग जुट जाएं यही इस क्षण का संदेश है। उन्होंने बताया कि ध्वज की स्थापना के लिए सभी तैयारियां पूरी हो गई थी, लेकिन ट्रस्ट के बीच यह विचार आया कि एक समय में सभी ध्वजारोहण करना सही नहीं होगा। प्रधानमंत्री के पास भी समय कम होने के कारण एक-एक कर ध्वज फहराए जाने का निर्णय किया गया था।
कहा कि ध्वज का यह नियम होता है कि जिस देवता का ध्वज होता है उसका चिन्ह होना चाहिए। जैसे मां जगदंबा के ध्वज के ऊपर सिंह का चिन्ह होगा। इसी तरह हनुमान जी के ध्वज के ऊपर गदा का चिन्ह और महादेव के ध्वज पर नंदी का चिन्ह, गणपति के ध्वज के ऊपर मूषक का चिन्ह होगा। उन्होंने बताया कि नियम वैसा है ध्वज के ऊपर यदि कोई विशिष्ट विधान शास्त्र में न दिया हो तो उस देवता के वाहन का चिन्ह होता है। कहा कि जल्द ही शुभ मुहूर्त में इन मंदिरों में भी धर्म ध्वज चढ़ाया जाएगा।
ये भी पढ़े :
नववर्ष पर रामनगरी को बड़ी सौगात: अयोध्या बस स्टेशन से शुरू होगा बसों का संचालन, रोजाना रुकेंगी 150 से अधिक बसें
