मेरा शहर मेरी प्रेरणा : बरेली ने परंपरागत उद्यमों से माडर्न उद्योगों तक भरी उड़ान
बरेली में 1956 में सीबीगंज, 1960 में परसाखेड़ा के अलावा 1964 में भोजीपुरा औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए । फरीदुपर रोड पर रजऊ के आसपास निजी रूप से इंडस्ट्रियल एरिया विकसित किया गया। यहां पेपर मिल, खाद्य तेल, प्लास्टिक, प्लॉईवुड समेत कई इकाइयां स्थापित हैं। परसाखेड़ा सबसे बड़ा और व्यवस्थित औद्योगिक क्षेत्र है यहां ब्रेड-बिस्कुट, खाद्य तेल, डिस्टिलरी, कन्फेक्शनरी, कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम, रासायनिक पदार्थ, समेत कई अन्य उद्योग हैं। सीबीगंज और भोजीपुरा में भी छोटे-बड़े कई उद्योग हैं। बरेली में कई रासायनिक और औषधि निर्माण इकाइयां स्थापित हुई हैं। यहाँ बनने वाले साबुन, डिटर्जेंट, दवाइयां और खाद उत्पाद स्थानीय और राष्ट्रीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।
निजी इंडस्ट्रियल एरिया को बढ़ावा
उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार निजी इंडस्ट्रियल एरिया को प्रोत्साहन दे रही है। प्लेज योजना ( प्रमोटिंग लीडरशिप एंड एंटरप्राइज फॉर डेवलपमेंट ऑफ ग्रोथ इंजंस) के तहत निजी जमीन पर औद्योगिक पार्क बनाया जा सकता है। इसमें कई तरह की छूट और सुविधाएं मिलेगी। 10 से 50 एकड़ तक जमीन वाले लोग औद्योगिक प्लेज पार्क बना सकेंगे। इसके लिए प्रति एकड़ 50 लाख का लोन एक प्रतिशत की ब्याज दर पर सरकार जमीन के मालिक को देगी। वह प्लाट बेचकर या किराए पर देकर कमाई कर सकता है। निजी पार्क में उद्योग लगाने के लिए सरकार उद्यमी को भी छूट पर लोन देती है। उद्योगपति विमल रेवाड़ी कहतें है कि रजऊ के आसपास समेत फरीदपुर रोड पर फूड प्रोसेसिंग, पेपर मिल, मोल्डेड फर्नीचर, प्लाईवुड, खाद्य तेल समेत दर्जनों उद्योग निजी जमीनों पर ही लगाए गए हैं। हालांकि यह प्लेज योजना के अंतर्गत इसलिए नहीं क्योंकि उद्योगपतियों ने खुद ही किसानों से जमीन खरीदकर अपनी फैक्ट्रियां लगाई हैं। वह कहते हैं कि यहां बिजली, सड़कों समेत कुछ बुनियादी समस्याएं हैं जिनका निदान जरूरी है। वह कहते है कि सरकार फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए करीब 35 प्रतिशत सब्सिडी पर लोन देती है।
बड़ी फैक्ट्रियों का दौर
एक समय बरेली देश के बड़े उद्योगपतियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। यहां की कत्था फैक्ट्रियां पंजाब, दिल्ली, बंगाल समते अन्य राज्यों तक सप्लाई भेजती थीं। कत्था उद्योग ने बरेली को कृषि-आधारित औद्योगिक केंद्र के रूप में पहचान दी। विमको ने बरेली के औद्योगिक इतिहास में सुनहरा अध्याय जोड़ा। विमको ने आधुनिक मशीनरी, पैकेजिंग और श्रमिक प्रशिक्षण की शुरुआत की। विमको की सफलता ने यह साबित कर दिया कि बरेली में पारंपरिक कारीगरी ही नहीं मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के लिए भी बड़ी संभावनाएं हैं। इसी समय बरेली का औद्योगिक चरित्र बदलने लगा। बरेली की औद्योगिक पहचान में एक और बड़ा नाम है इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड)। 1988 में आंवला में स्थापित इफको न केवल उर्वरक उत्पादन में क्रांति लाई, बल्कि कृषि के क्षेत्र में जागरूकता, प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीक को भी बढ़ावा दिया।
एमएसएमई और आधुनिक औद्योगिक दौर
इंडियन इंडस्ट्रीज ऐसोसिएशन के चैप्टर चेयरमैन मयूर धीरवानी ने कहा कि आज बरेली सिर्फ बड़े उद्योगों तक सीमित नहीं है। यहां एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ) सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। फर्नीचर, प्लास्टिक, पैकेजिंग, कनफैक्शनरी, बेकरी, हैंडक्राफ्ट, फार्मा से जुड़े सैकड़ों उद्यम चल रहे हैं। “वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत ज़री-ज़रदोजी उत्पादों को विश्व बाजार तक पहुंचाया जा रहा है। युवाओं में स्टार्टअप और डिजिटल कारोबार की संस्कृति विकसित हो रही है।
परंपरागत उद्योग
परंपरागत रूप से बरेली का फर्नीचर, सुरमा और जरी जरदोजी पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है। सिकलापुर फर्नीचर की बड़ी मंडी है। फर्नीचर के काम में हजारों कारीगर कार्यरत हैं। बरेली की जरी-जरदोजी ने अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई है। यहाँ के उत्पाद दिल्ली, मुंबई और लखनऊ जैसे फैशन केंद्रों तक पहुँचते हैं। यहां से इसे अरब देशों समेत पश्चिम के दशों में निर्यात किया जाता है। सुरमा ने भी बरेली को बड़ी पहचान दिलाई है। एम हसीन हाशमी का सुरमा दृष्टि की बेहतरी के लिए रामबाण माना जाता रहा है। पतंग और मांझा के बिना बरेली की पहचान अधूरी है। बरेली की पतंग आसपास के जिलों के आसमान को भी रंगबिरंगा कर देती है। बरेली का मांझा भरोसे की गारंटी माना जाता है हालांकि चायनीज मांझा ने न सिर्फ यहां के मांझा का रास्ता रोक दिया है बल्कि कामगारों की भी कमर तोड़ दी।
भविष्य की संभावनाएं
भविष्य में बरेली को “रोहिलखंड का औद्योगिक हब” बनाने की दिशा में कार्य चल रहा है। यहाँ फूड प्रोसेसिंग पार्क, फर्नीचर क्लस्टर, और हर्बल उत्पाद इकाइयों की स्थापना प्रस्तावित है। सरकार की यह योजनाएं सफल रहीं, तो बरेली उत्तर प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक नगरों में शामिल हो जाएगा। दिसंबर में प्रस्तावित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 5.0 के संबंध में बरेली को करीब 15 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य मिला है। वे आ जाते हैं तो शहर का औद्योगिक नक्शा ही बदल जाएगा।
औद्योगिक टाउनशिप से मिलेगी रफ्तार
बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) बोर्ड ने शहर के विकास को नई दिशा देने के लिए दिल्ली हाईवे पर औद्योगिक टाउनशिप विकसित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। कमिश्नर भूपेंद्र एस चौधरी की अध्यक्षता में 93वीं बोर्ड बैठक में औद्योगिक विकास के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसके लिए सदर तहसील के रसूला चौधरी और मीरगंज तहसील के भिटौरा नौगवां, फतेहगंज पश्चिमी, चिटौली और रहपुरा जागीर गांवों की लगभग 125 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गई है। टाउनशिप में ट्रांसपोर्ट नगर, लॉजिस्टिक पार्क, वेयरहाउस, इंडस्ट्रियल यूनिट्स, डॉरमेट्री, हॉस्पिटल फैसिलिटी, बैंक, कैफेटेरिया, फायर स्टेशन, सीयूजीएल गैस लाइन, पेट्रोल व सीएनजी पंप, ई-चार्जिंग स्टेशन समेत अनेक सुविधाएं होंगी। योजना में 18, 30 और 45 मीटर चौड़ी सड़कें भी बनाई जाएंगी।
क्या कहते हैं उद्यमी
ति से निवेश जारी रहा तो बरेली अगले कुछ वर्षों में उद्योगों का प्रमुख केंद्र बन जाएगा। हालांकि उद्योगों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, कुशल श्रमिकों की कमी समेत कई समस्याएं चिंता की बात हैं लेकिन समस्याओं से पार पाकर ही उद्योग खड़े किए जाते हैं। सरकार इसी तरह निवेश को बढ़ावा देती रही, तो बरेली को उत्तर प्रदेश का मिनी-इंडस्ट्रियल कैपिटल बनने से कोई नहीं रोक सकता। - विमल रेवाड़ी, इंडियन इंडस्ट्रीज ऐसोसिएशन की केंन्द्रीय समिति के सदस्य
1950 के बाद से बरेली के उद्योग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर एमएसएमई की स्थापना हुइ जिसने समय के साथ-साथ अनुधिकता को अपनाया और यूपी के तीन बड़े शहरों में खुद को स्थापित किया। प्रदेश की जीडीपी में बरेली भी बड़ा योगदान दे रहा है। बरेली में बड़ी संख्या में लघु उद्योग लग रहे हैं। राज्य सरकार ने बरेली में फूड प्रोसेसिंग पार्क, फर्नीचर क्लस्टर, और हर्बल उत्पाद इकाइयों की स्थापना के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। हालात इसी तरह सही रहे तो बरेली उत्तर भारत का अगला इंडस्ट्रियल ग्रोथ सेंटर बन सकता है। - मयूर धीरवानी, चैप्टर चेयरमैन, इंडियन इंडस्ट्रीज ऐसोसिएशन
25 साल पहले इंडस्ट्री एक बुरे दौर गुजरीए उस दौरान कई बड़ी इंडस्ट्री बंद हुई तो कई बंद होने के कगार पर पहुंची। वर्तमान में भोजीपुरा और परसाखेडा जैसे औद्योगिक क्षेत्र का विकास होने के बाद उद्योग तेजी से संभले। बरेली उत्तर भारत का इंडीस्ट्रियल हब बनने के लिए तैयार है। बरेली के उद्योगों का तेजी से विकास होए इसके लिए आवश्यक है कि बरेली के लिए दूसरे बडे़ शहरों से उड़ानों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। चैंबर आफ कामर्स उद्यमियों का समस्या के समाधान के लिए हर समय तैयार है।
- राजीव सिंघलए अध्यक्ष, चैंबर आफ कामर्स
