बौद्धिक दिव्यांग बच्चों का कल्याण सभी की जिम्मेदारी... पुनर्वास विवि में राष्ट्रीय अभिभावक सम्मेलन में बोले कर्नाटक के राज्यपाल

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के समग्र कल्याण की जिम्मेदारी समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने गार्जियनशिप से जुड़ी प्रक्रियाओं में अभिभावकों को सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही परिवार संगठन द्वारा तीन दशकों से किए जा रहे कार्यों की सराहना की और नीति-निर्माण में उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

राज्यपाल, शनिवार को लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संस्थान बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण द्वारा आयोजित दो दिवसीय 31 वें राष्ट्रीय अभिभावक सम्मेलन 2025 का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे। दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री नरेंद्र कश्यप ने कहा कि दिव्यांगजनों की शिक्षा, प्रशिक्षण और पुनर्वास के लिए प्रदेश सरकार लगातार कार्य कर रही है। विभिन्न योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक प्रभावी रूप से पहुंचाया जा रहा है। मुख्यमंत्री सलाहकार अवनीश अवस्थी ने समाज से अपील की कि वे बौद्धिक दिव्यांगजन को अवसर प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने में सहयोग करें। 

सम्मेलन का आयोजन पैरिवार – नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ पेरेंट्स ऑर्गेनाइजेशंस के सहयोग से तथा डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय और यू.पी. पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस अवसर पर मेजर बी. वी. रामकुमार, राज्य दिव्यांगजन आयुक्त प्रो. हिमांशु शेखर झा और विश्वविद्यालय के कुलसचिव रोहित सिंह उपस्थित रहे।

पैरिवार राष्ट्रीय पुरस्कार 2025 से सम्मानित हुए

सम्मेलन में ‘पैरिवार’ की वार्षिक रिपोर्ट 2024–25 तथा सौम्या उपाध्याय ‘तताई’ की पुस्तक “ हु न्यू द फार्गोटन यू ” का विमोचन किया गया। साथ ही रोशनी सोसायटी हल्द्वानी, परिवार पलक्कड़ और मेसेनी पोंग पोंगें को पैरिवार राष्ट्रीय पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया। स्पेशल ओलंपिक्स वर्ल्ड गेम्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले आठ बौद्धिक दिव्यांग पैराअथलीटों को भी सम्मानित किया गया।

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