‘वॉटर थेरेपी’ से खेलो इंडिया तक, प्रत्यासा ने लिखी कामयाबी की दास्तां 

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Published By Muskan Dixit
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जयपुर। पानी से प्रत्यासा रे का प्रेम स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझते हुए ‘वॉटर थेरेपी’ के रूप में हुआ और अब वह खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी खेलों में शानदार प्रदर्शन करके भारत की सबसे प्रतिभाशाली तैराकों में से एक बन गई हैं। प्रत्यासा ने इन खेलों में तीन स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता। अब तक चार सत्रों में वह नौ स्वर्ण, सात रजत और दो कांस्य समेत 18 पदक जीत चुकी हैं। 

इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भी अच्छा प्रदर्शन रहा है। बहुत कम लोगों को ही पता है कि उनके शुरूआती वर्षों में माता पिता ने कितना संघर्ष किया है चूंकि वह लगातार बीमारी रहती थी। प्रत्यासा जब तीन साल की थी तब तक उनके माता पिता अस्पतालों के काफी चक्कर लगा चुके थे। वह लगातार बीमार रहती थी और शारीरिक विकास भी नहीं हो रहा था। उनकी मां चारूश्री ने तब ‘वॉटर थेरेपी’ के बारे में पढा और इसे आजमाने के बारे में सोचा। 

चारूश्री ने साइ मीडिया से कहा, ‘‘प्रत्यासा पैदा हुई तब काफी स्वस्थ थी। लेकिन जब वह 21 साल की थी तब उसे एक संक्रमण से बचाने के लिये एंटी बायोटिक दिये गए तो उसका विपरीत असर हो गया। उसके बाद उसका स्वाभाविक शारीरिक विकास रूक गया। हम काफी चिंतित थे। उस समय मैने रीडर्स डाइजेस्ट में वॉटर थेरेपी के बारे में पढा कि तैराकी से बच्चे की कई स्वास्थ्य समस्याओं का हल निकलता है।’’ 

उन्होंने कहा,‘‘ मैं अपनी तीन साल की बेटी को सम्बलपुर में स्वीमिंग पूल में ले गई। उस उम्र में प्रवेश नहीं मिलता तो उसके साथ मैने खुद तैराकी शुरू की।’’ उन्होंने कहा,‘‘ उस समय काफी डर था लेकिन बाद में उसे पानी में मजा आने लगा। दो महीने के भीतर अस्पताल के चक्कर कम हो गए और तीन महीने बाद वह स्वस्थ होने लगी। छह महीने बाद वह बिना ट्यूब के पानी में उतरी। अगले दो तीन साल में वह 25 से 50 मीटर तैरने लगी।’’ 

प्रत्यासा ने कहा, ‘‘सम्बलपुर में एक स्थानीय कोच ने मेरी प्रतिभा को पहचानी और प्रतिस्पर्धी तैराकी करने का सुझाव दिया।’’ प्रत्यासा ने आठ वर्ष की उम्र से झरसा खेतान तैराकी परिसर में रंगनिधि सेठ के मार्गदर्शन में तैराकी शुरू की। उस दौरान ओडिशा सरकार में कार्यरत उनके पिता का स्थानांतरण भुवनेश्वर में हो गया और तब उन्होंने कलिंगा में पेशेवर अभ्यास शुरू किया। उत्कल यूनिवर्सिटी के दोहरी पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री की पढाई कर रही प्रत्यासा का लक्ष्य जापान के नागोया में 2026 में होने वाले एशियाई खेलेां में भारतीय टीम में जगह बनाना है।

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