BSF 61वें स्थापना दिवस पर बोले IG , LOC पर घुसपैठ की कोशिश नाकाम, ऑपरेशन सिंदूर बड़ी उपलब्धि

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Published By Anjali Singh
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श्रीनगर। मौजूदा वर्ष के दौरान नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से कश्मीर में कोई आतंकवादी घुसपैठ नहीं हुई। सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि सुरक्षा बलों ने आठ घुसपैठियों को मार गिराया, जबकि पांच अन्य को वापस जाने पर मजबूर कर दिया गया। इस दौरान आतंकवादी गुर्गों के घुसपैठ के चार प्रयास नाकाम किए गए। 

बीएसएफ के महानिरीक्षक (आईजी) अशोक यादव ने बल के 61वें स्थापना दिवस पर संवाददाताओं को बताया, “बीएसएफ ने सेना के साथ मिलकर नियंत्रण रेखा पर कारगर एवं प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित किया, जिसके परिणामस्वरूप इस वर्ष कश्मीर घाटी से घुसपैठ के सभी प्रयास विफल हो गए। बल ने श्री अमरनाथ यात्रा 2025 के दौरान भी आंतरिक क्षेत्रों में मजबूत सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।”

यादव ने बताया कि बीएसएफ ने सेना के साथ मिलकर आठ आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि पांच अन्य को वापस जाने को मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा, “हमारी जी-इकाई नियंत्रण रेखा पर सभी 69 सक्रिय ‘लांचिंग पैड’ पर कड़ी नजर रख रही है, जहां लगभग 100-120 आतंकवादी घुसपैठ की फिराक में हैं। इसके साथ ही, आतंकवादियों के विभिन्न प्रशिक्षण शिविर भी हमारी खुफिया शाखा की जांच के दायरे में हैं।” 

यादव ने कहा कि बीएसएफ कश्मीर फ्रंटियर सेना के साथ समन्वय बिठाते हुए 343 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा पर प्रभावी ढंग से तैनात है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, बीएसएफ इकाइयां पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय करके महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा कर रही हैं और कश्मीर के लोगों को सुरक्षा प्रदान कर रही हैं। यादव ने कहा कि 2025 के दौरान बीएसएफ की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि ऑपरेशन सिंदूर रही है। 

आईजी ने कहा, “बीएसएफ इकाइयों ने भारतीय सेना के साथ मिलकर नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी चौकियों और आतंकवादी ठिकानों पर प्रभावी ढंग से गोलाबारी की और मजबूत, सटीक और पेशेवर प्रतिक्रिया दिखाई।” उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुश्मन के खिलाफ बीएसएफ की प्रभावी कार्रवाई की देश के नेतृत्व ने काफी सराहना की। 

यादव ने बताया कि बीएसएफ कश्मीर फ्रंटियर ने नियंत्रण रेखा के पास अग्रिम इलाकों में महिला जवानों को तैनात किया है - ऊंचाई वाले स्थानों पर और नियंत्रण रेखा के पास सड़कों पर चौबीसों घंटे चौकियों पर - ताकि आतंकवादी संगठनों तथा तस्करी नेटवर्कों से जुड़ी महिला सदस्यों और समर्थकों को रोका जा सके। 

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