जंगल की दुनिया गोल्डन लंगूर: असम–भूटान की सीमा का सुनहरा रत्न
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम और पड़ोसी देश भूटान की सीमा पर बसे घने, शांत और जैव–विविधता से समृद्ध जंगलों में एक अनोखा जीव पाया जाता है-गोल्डन लंगूर। अपनी चमकीली सुनहरी फर और सौम्य व्यवहार के कारण यह बंदर दुनिया की सबसे रहस्यमयी और मनमोहक प्रजातियों में गिना जाता है। हैरानी की बात यह है कि इतना सुंदर और दुर्लभ जीव वैज्ञानिकों की नजर में पहली बार 1950 में आया।
उससे पहले तक स्थानीय लोग इसके बारे में जानते तो थे, लेकिन आधुनिक विज्ञान को इसकी उपस्थिति की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं थी। गोल्डन लंगूर अपनी लंबी रेशमी पूंछ, नरम सुनहरी से लेकर क्रीम रंग तक फैली फर और अभिव्यक्तिपूर्ण चेहरे की वजह से तुरंत ध्यान आकर्षित करता है। ये आमतौर पर 40 से 50 कीड़ों, फलों, पत्तियों और फूलों पर निर्भर रहते हैं। इनका अधिकांश जीवन ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर बीतता है, जहां ये छोटे समूहों में रहते हुए शांतिपूर्वक भोजन और आश्रय खोजते हैं।
इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये ‘एंडेमिक’ प्रजाति हैं, यानी दुनिया में केवल एक सीमित क्षेत्र असम के पश्चिमी हिस्से और भूटान के दक्षिणी इलाकों में ही पाए जाते हैं। यही सीमित आवास इन्हें और भी संवेदनशील बनाता है। जंगलों का कटाव, मानव बस्तियों का फैलाव, सड़क निर्माण और कृषि गतिविधियों के कारण इनका प्राकृतिक घर लगातार सिकुड़ता जा रहा है।
इसी वजह से गोल्डन लंगूर आज संकटग्रस्त श्रेणी में शामिल है और इनका संरक्षण बेहद आवश्यक हो गया है। सरकारों, स्थानीय समुदायों और संरक्षण संगठनों द्वारा इनके आवास को बचाने, जागरूकता बढ़ाने और वैज्ञानिक अध्ययन को प्रोत्साहित करने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। गोल्डन लंगूर न केवल प्राकृतिक विरासत का अनमोल हिस्सा हैं, बल्कि यह भी याद दिलाते हैं कि पृथ्वी पर मौजूद हर प्रजाति कितनी कीमती है और उसके संरक्षण की जिम्मेदारी हम सबकी है।
