बुजुर्गों का लोकेशन बताएंगे कृत्रिम दांत, केजीएमयू के डॉक्टरों ने की तकनीक विकसित
वीरेन्द्र पांडेय/लखनऊ, अमृत विचार : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के प्रोस्थोडॉन्टिक्स, क्राउन और ब्रिज विभाग के चिकित्सकों ने एक नई तकनीक विकसित की है। इस तकनीक के जरिए बुजुर्गों, विशेष कर डायबिटीज व डिमेंशिया से पीड़ित मरीजों की लोकेशन की जानकारी करना आसान हो जाएगी।
इस नई तकनीक के निर्माण के लिए विभाग की डॉ. अनुषिका सिंह, डॉ. स्वर्णिम और डॉ. साधना सिंह को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है। डॉक्टरों को यह पुरस्कार मुंबई में आयोजित इंडियन प्रोस्थोडॉन्टिकस सोसाइटी के 53वें राष्ट्रीय सम्मेलन में दिया गया है।
दरअसल, केजीएमयू के प्रोस्थोडॉन्टिक्स, क्राउन और ब्रिज विभाग विभागाध्यक्ष डॉ. पूरनचंद के नेतृत्व में डॉक्टरों ने यह नवीन तकनीक बनाई है। हालांकि अभी इस तकनीक का पेटेंट नहीं हुआ है, इस वजह से इसका नाम प्रकाशित नहीं किया जा रहा है।
विभाग के प्रमुख डॉ. पूरनचंद ने बताया कि डिमेंशिया से पीड़ित बुजुर्ग मरीज यदि अपने घर का पता भूल जाएं, वह कहीं छूट जाए या फिर रास्ता भटक जाए तो उनको इस तकनीक के जरिए ढूंढना आसान होगा। इतना ही नहीं यदि वह अपना डेंचर रखकर कहीं भूल जाए तो भी उसे आसानी से ढूंढा जा सकता है।
इसी तरह डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए भी या तकनीक काफी कारगर साबित होगी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक को डेंचर (नकली दांत ऐसे कृत्रिम उपकरण होते हैं जो क्षतिग्रस्त दांतों की जगह लेते हैं) में इस तकनीक को विकसित किया गया है। पेटेंट के लिए भी भेज दिया गया है।
