जंगल की दुनिया: सिवेट पाम- भारत का रहस्यमयी निशाचर जीव

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Published By Anjali Singh
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भारत की समृद्ध जैव-विविधता में सिवेट पाम एक ऐसा स्तनधारी है, जिसके बारे में आम लोगों को बहुत कम जानकारी है। यह भारत में पाई जाने वाली सबसे व्यापक सिवेट प्रजातियों में से एक है। अत्यधिक शुष्क पश्चिमी क्षेत्रों को छोड़कर यह लगभग पूरे देश में पाई जाती है। जंगलों के साथ-साथ ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में भी इसकी मौजूदगी देखी गई है। अपने निशाचर स्वभाव के कारण यह दिन में छिपी रहती है और रात के समय सक्रिय होकर भोजन की तलाश में निकलती है।

सिवेट पाम को ताड़ के फलों के प्रति विशेष लगाव होता है, इसी वजह से इसका नाम सिवेट पाम पड़ा। हालांकि इसे आम बोलचाल में सिवेट कैट या टॉडी कैट कहा जाता है, लेकिन यह बिल्ली परिवार का सदस्य नहीं है। इसका शरीर लंबा और पतला होता है, चेहरे पर नुकीली बनावट और लंबी, घनी पूंछ इसकी पहचान है। 

इसकी चाल-ढाल और फुर्ती इसे अन्य छोटे मांसाहारी जीवों से अलग बनाती है। इस प्रजाति की एक खास बात यह है कि यह मानव बस्तियों के आसपास भी आसानी से रह लेती है। पारंपरिक घरों की छप्पर वाली छतें, पुराने गोदाम, सूखी नालियां, बाहरी शौचालय और सुनसान कोने इसके पसंदीदा आश्रय स्थल होते हैं। 

दिन के समय यह इन्हीं स्थानों में छिपकर आराम करती है और रात ढलते ही भोजन की खोज में निकल पड़ती है। इसका भोजन मुख्य रूप से फल, कीड़े-मकोड़े और छोटे जीव होते हैं। निशाचर और अत्यंत सतर्क स्वभाव के कारण सिवेट पाम को प्रत्यक्ष रूप से देख पाना मुश्किल होता है। 

यही वजह है कि वन्यजीव विशेषज्ञ इसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कैमरा ट्रैप और दूरस्थ निगरानी उपकरणों का सहारा लेते हैं। इन अध्ययनों से पता चलता है कि यह जीव पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फलों को खाने के बाद बीजों को अलग-अलग स्थानों पर छोड़कर यह प्राकृतिक रूप से वनस्पतियों के प्रसार में योगदान देता है।

आज बदलते पर्यावरण, आवासों के नष्ट होने और मानवीय गतिविधियों के कारण सिवेट पाम के प्राकृतिक ठिकानों पर दबाव बढ़ रहा है। इसके बावजूद यह जीव मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व का एक अनोखा उदाहरण है। सिवेट पाम का संरक्षण न केवल इस प्रजाति के लिए, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।