रंग-तरंग: रचनात्मकता, कला और  संस्कृति का जीवंत संगम

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Published By Anjali Singh
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बीते दिनों राष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी और कार्यशाला का बरेली स्थित यामिनी आर्ट गैलरी में आयोजन किया गया। यह आयोजन कला परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ गया, जिसने न केवल स्थानीय दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि कलाकारों को एक राष्ट्रीय मंच प्रदान किया।

समापन समारोह में कला जगत की हस्तियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति ने आयोजन की भव्यता को और बढ़ा दिया। प्रदर्शनी में लगाई गईं विविध शैलियों की पेंटिंग्स ने दर्शकों को कला की गहराई से रूबरू कराया। प्रदर्शनी में कई वरिष्ठ कलाकारों की कृतियों ने दर्शकों का ध्यान खींचा।

विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं दो पेंटिंग्स- मो. तारिक अनवर की ‘मैन्युफैक्चरिंग’ और सुनील कुमार की ‘पंचमुखी गणेश’। ‘मैन्युफैक्चरिंग’ ने आधुनिक जीवन की जटिलताओं और उत्पादन प्रक्रिया को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया, वहीं  ‘पंचमुखी गणेश’ ने भक्ति और पारंपरिक कला का अद्भुत संयोजन प्रस्तुत किया। दर्शकों ने इन कृतियों की बारीकियों को समझने का प्रयास किया।

कार्यक्रम के अंत में, तारा आर्ट फेस्ट के आयोजक मो. तारिक अनवर ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने इस फेस्ट की सफलता को देखते हुए इसे केवल बरेली तक सीमित न रखते हुए, राज्य और देश के अन्य सभी प्रमुख शहरों तक ले जाने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना साझा की। विशेष अतिथि और शिक्षाविद डॉ. उजमा कमर ने सभी कलाकारों, विशेष रूप से बाल कलाकारों के बेहतरीन चित्रों की सराहना की और इस राष्ट्रीय आयोजन की सफलता के लिए पूरी टीम के प्रयासों की प्रशंसा की।