उत्तर प्रदेश मनरेगा में 4000 करोड़ की भारी बकायेदारी, निर्माण सामग्री का सबसे बड़ा हिस्सा... आखिर कैसे होगा काम

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Published By Muskan Dixit
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प्रशांत सक्सेना, लखनऊ, अमृत विचार : प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत गांवों का विकास हुआ और जॉबकार्ड धारकों को काम मिला, लेकिन बजट का अभाव कहें या तकनीकी समस्या, जिसकी वजह से वर्ष 2024 से करीब चार हजार करोड़ रुपये की बकायेदारी हो गई है। इसमें सबसे अधिक निर्माण सामग्री का बकाया है।

मनरेगा के तहत वर्ष 2024-25 में कराये गए कार्यों का करीब 2900 करोड़ रुपये बकाया है। जो इस वर्ष भी भुगतान नहीं हो सका। इसमें सबसे अधिक धनराशि 2600 करोड़ के आसपास सिर्फ मैटेरियल यानी ईंट, बालू, सीमेंट, मौरंग, गिट्टी सरिया आदि की है और फर्मों को भुगतान करना है। शेष धनराशि कुशल, अकुशल श्रमिक व निर्माण सामग्री में लगने वाले टैक्स की है। यही नहीं, वित्तीय वर्ष 2025-26 का भी दिसंबर तक करीब 1238 करोड़ रुपये देना बाकी है। इसमें भी सबसे अधिक निर्माण सामग्री का करीब 1009 करोड़ के आसपास बकाया है और बिना बजट के रोजाना हो रहे कार्यों के कारण बकायेदारी बढ़ती जा रही है। भुगतान न होने की वजह से कार्य प्रभावित हैं। ज्वाइंट कमिश्नर ग्राम्य विकास चंद्रशेखर ने बताया कि भुगतान के लिए नया एसएनए पोर्टल लागू हुआ है। इस पर काम चल रहा है। कुछ तकनीकी समस्या है।

राजधानी में पिछले वर्ष का 772 लाख बकाया

लखनऊ में भी बड़ी बकायेदारी है। वर्ष 2024-25 का 727 लाख रुपये श्रमिकों और निर्माण सामग्री का भुगतान करना बाकी है। जबकि इस वर्ष 2025-26 का करीब 381 करोड़ रुपये बकाया है। यदि भुगतान न हुआ तो धनराशि बढ़ती जाएगी। 100 दिन रोजगार की बात करें तो 160 श्रमिक परिवार लाभान्वित हुए हैं। 6.15 लाख मानव दिवस के सापेक्ष 3.68 लाख मानव दिवस सृजित हो चुके हैं।

 

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