शीतकालीन सत्र में हंगामा: सपा का वॉकआउट, सरकार बोली- किसान पलायन नहीं, खेती की ओर लौट रहे
लखनऊ, अमृत विचार : शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सोमवार को विधान परिषद में सभापति कुंवर माववेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में 11 बजे सदन शुरू हुआ। प्रश्नकाल के बाद दोपहर 12.10 बजे नेता विरोधीदल लाल बिहारी यादव के नेतृत्व में सपा सदस्यों ने नियम 105 अंतर्गत किसानों को खाद न मिलने, लागत मूल्य न मिलना और किसानों के साथ सौतेले व्यवहार पर सरकार को घेरना शुरू किया। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही द्वारा सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए सपा सदस्यों ने किसान विरोधी सरकार का नारा लगाते हुए, सदन का बहिष्कार कर दिया। बावजूद सरकार की तरफ से करीब 20 मिनट तक किसानों के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को सदन में प्रस्तुत किया।
सदन में सपा सदस्य बलराम यादव, राजेंद्र चौधरी, किरण पाल कश्यप, डॉ. मान सिंह यादव, जासमीर अंसारी और आशुतोष सिन्हा ने भाजपा सरकार के कार्यकाल में किसानों की समस्याओं में बढ़ोतरी होने, धान खरीद में बिचौलियों की मनमानी, खाद की कालाबाजारी के आरोप लगाए। कृषि मंत्री की ओर इशारा करते हुए लाल बिहारी यादव ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाले लोग किसानों के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। आलू किसानों का बुरा हाल है, किसान भुखमरी के कगार पर हैं। केंद्र सरकार के 11 वर्ष और प्रदेश की भाजपा सरकार के दौरान एक भी किसान गरीबी रेखा से बाहर नहीं आया। सरकार 80 करोड़ लोगों को आज भी अनाज उपलब्ध करा रही है। धान की खरीद में बिचौलिए हावी हैं। केंद्रों पर किसानों को इंतजार कराया जाता है और व्यापारियों से खरीद हो रही है। प्रदेश में खाद की कालाबाजारी हो रही है। जिस क्षेत्र के कृषि मंत्री रहने वाले हैं, वहीं से कालाजाबारी हो रही है।
जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के हित में लगातार काम कर रही है। वर्तमान में कृषि विकास की दर 17 प्रतिशत से अधिक है। खरीफ 2013-14 में 90.44 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी, आज यह क्षेत्र आच्छादन 105 लाख हेक्टेयर है। बीज, खाद और सिंचाई की उपलब्धता होने से गांवों से पलायन कर चुके किसान वापस खेती कर रहे हैं। गन्ना किसानों को चीनी मिलें एडवांस भुगतान कर रही हैं। उन्होंने बताया कि सपा शासन में खाद के लिए लाइनें लगती थीं और किसानों पर लाठीचार्ज होता था। वर्तमान में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है।
सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने नियम 105 के अंतर्गत उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग के अधिनियम 2023 पर प्रश्न खड़ा करते हुए शिक्षकों का शोषण होने का मुद्दा उठाया। माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि डीआइओएस को कार्रवाई का अधिकार है और संयुक्त शिक्षा निदेशक के यहां अपील का भी प्रविधान है। यह व्यवस्था जल्द न्याय दिलाने के लिए की गई है। सदस्य आकाश अग्रवाल ने बोर्ड परीक्षा केंद्रों में विद्यालयों को उनकी श्रेणी के आधार पर माप करने की प्रणाली को गलत बताया। पारदर्शी परीक्षा संपन्न कराने के लिए उन्होंने सभी विद्यालयों को परीक्षा केन्द्र बनाए जाने की मांग की, माध्यमिक शिक्षा मंत्री की ने कहा कि वर्तमान में शासनादेश के अनुसार विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जा रहा है।
सुबह प्रश्नकाल में शिक्षक नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कोरोना काल में शिक्षकों के राहत भत्तों की होने वाली कटौती का मुद्दा उठाया गया, उन्होंने कहा कि असमानता दूर होनी चाहिए, उत्तर में सरकार की ओर से बताया गया कि केंद्र सरकार के निर्णय के अनुसार यह निर्णय लिया गया है। सभापति ने असमानता दूर करने को राज्य सरकार को संदर्भित किया।
सरकार के दौरान सपा को नहीं याद आई पुरानी पेंशन
सपा सदस्य डॉ. मानसिंह यादव ने बुढ़ापे की लाठी बताते हुए पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रश्न उठाया गया। राज्य सरकार की ओर से जसवंत सिंह सैनी ने कहा कि पहले भी कई बार मुद्दा उठ चुका है, सरकार जवाब दे चुकी है, 50652 करोड़ का बजट सरकारी खाते में अंश जाना शुरू हो चुका है। हालांकि उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि सपा की 2002 से 2017 तक दे बार सरकार रही, पर उनको उस समय इसकी याद नहीं आई।
शिक्षण संस्थानों की बिजली दरें कम करने को आयोग में पक्ष रखेगी सरकार
सपा के नेता विरोधी दल लाल बिहारी यादव ने प्रश्न काल में शिक्षण संस्थानों को व्यावसायिक विद्युत बिल लिए जाने का मुद्दा उठाया। जवाब में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने खुद माना कि शिक्षण संस्थानों की दर व्यावसायिक से अधिक है , यह व्यवस्था 2001 से लागू है और यह दरें विद्युत नियामक आयोग से तय होती हैं। उन्होंने इसे सुधारने और मामले में आयोग के समक्ष पक्ष रखने का भरोसा दिलाया। साथ ही विपक्षी सदस्यों से कहा कि आप भी आयोग से मांग करें।
