संपादकीय: दूरदर्शी समझौता
भारत-न्यूजीलैंड के बीच मात्र नौ महीनों में संपन्न हुआ मुक्त व्यापार समझौता यानी एफटीए न केवल अपनी गति के कारण उल्लेखनीय है, बल्कि यह बदलते वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत की रणनीतिक आर्थिक सोच को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है। आम तौर पर वर्षों तक खिंचने वाली एफटीए वार्ताओं की तुलना में यह समझौता तेज़, संतुलित और दूरदर्शी है, इसीलिए इसे दीर्घकालिक विकास योजनाओं के अनुरूप एक ऐतिहासिक उपलब्धि और मील का पत्थर कहना उचित है।
यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को कई स्तरों पर मजबूत करेगा। न्यूजीलैंड के तकरीबन 55 प्रतिशत उत्पादों को तत्काल टैरिफ-मुक्त पहुंच और दस वर्षों में यह दायरा लगभग 80 प्रतिशत तक पहुंचना, द्विपक्षीय व्यापार को नई गति देगा। भारत को इससे कृषि-आधारित और श्रम-प्रधान निर्यात बढ़ाने का अवसर मिलेगा, जबकि न्यूजीलैंड के लिए भारत जैसा विशाल और बढ़ता बाजार दीर्घकालिक स्थिरता देगा। समझौते के कानूनी और प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इसे लागू होने में साल भर से ज्यादा लगेंगे।
भारत इसके पहले मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, यूरोपीय संघ, ओमान और ब्रिटेन के साथ एफटीए कर चुका है, कनाडा से वार्ता अंतिम चरण में होना दर्शाता है कि भारत वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में भरोसेमंद भागीदार के रूप में उभर रहा है। इसका परोक्ष दबाव अमेरिका पर भी पड़ेगा, जहां अति संरक्षणवादी टैरिफ नीतियों के चलते भारतीय निर्यातक असमंजस में हैं। भले ही वह पूर्ण समाधान न हो पर विविध एफटीए नेटवर्क अमेरिकी टैरिफ के दुष्प्रभावों से आंशिक सुरक्षा कवच तो देगा। वर्तमान में भारत–न्यूजीलैंड द्विपक्षीय व्यापार लगभग 21 हजार करोड़ रुपये का है। समझौते के बाद मध्यम अवधि में इसमें दो से तीन गुना वृद्धि की संभावना है।
भारतीय निर्यातकों को शून्य-शुल्क पहुंच से बड़ा लाभ होगा। कपड़ा, परिधान, चमड़ा और जूते जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के साथ-साथ इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स और रसायन उद्योगों में 25 से 40 प्रतिशत तक निर्यात वृद्धि हो सकती है। कृषि क्षेत्र में यह समझौता व्यावहारिक संतुलन साधता है। फल, सब्जियां, अनाज, मसाले, कॉफी और प्रोसेस्ड फूड के लिए न्यूजीलैंड का बाजार खुलेगा, जबकि भारत के डेयरी, चीनी, खाद्य तेल, कीमती धातुओं, तांबे के कैथोड और रबर-आधारित उत्पादों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को पर्याप्त सुरक्षा मिलेगी।
सेवाओं और मानव संसाधन की आवाजाही इस समझौते की एक और बड़ी ताकत है। 5,000 अस्थायी वर्क वीजा, वर्किंग हॉलिडे वीजा और अध्ययन के बाद रोजगार के अवसर भारतीय युवाओं और कुशल पेशेवरों के लिए वैश्विक दरवाज़े खोलेंगे। आईटी, आईटी-सक्षम सेवाएं, वित्त, शिक्षा, पर्यटन और निर्माण जैसे क्षेत्रों में भारत की पहुंच बढ़ेगी, जिससे एमएसएमई, कारीगरों, महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों और स्टार्टअप्स को भी लाभ मिलेगा। न्यूजीलैंड का अगले 15 वर्षों में भारत में 20 अरब डॉलर के एफडीआई की सुविधा देना महत्वाकांक्षी है। अवधि लंबी है, पर इससे निवेश को स्थायित्व, तकनीकी सहयोग व रोजगार सृजन का ठोस आधार मिलेगा।
