प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 18 राज्यों के 20 प्रतिभाशाली बच्चों को किया सम्मानित

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Published By Muskan Dixit
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विभिन्न क्षेत्रों में 18 राज्यों के 20 साहसी बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया है। मुर्मू ने शुक्रवार को यहां विज्ञान भवन में एक समारोह में इन बच्चों के उनके असाधारण कार्यों के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये। 

राष्ट्रपति ने पुरस्कार पाने वाले बच्चों को बधाई देते हुए कहा कि पुरस्कार विजेता बच्चों ने अपने परिवारों, अपने समुदायों और पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सम्मान पाने वाले इन बच्चों से देश के अन्य सभी बच्चे प्रेरित होंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग 320 वर्ष पूर्व, सिख पंथ के दसवें गुरु और सभी भारतवासियों के लिए पूजनीय गुरु गोबिन्द सिंह जी और उनके चारों बेटों ने सत्य और न्याय के पक्ष में युद्ध और संघर्ष करते हुए बलिदान दिया था। इस दिन हम सब उनके दो सबसे छोटे साहिबज़ादों का स्मरण करते हैं जिनकी वीरता का सम्मान देश-विदेश में किया जाता है।

मुर्मू ने कहा "मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि सभी पुरस्कार विजेता बच्चों ने अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण योगदान दिये हैं। वीरता, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण, नवोचार, विज्ञान तथा तकनीकी, समाज-सेवा और खेल-कूद जैसे विभिन्न क्षेत्रों में आपकी असाधारण बाल-प्रतिभा का परिचय प्राप्त हुआ है।" उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि पुरस्कार पाने वाले बच्चों ने वीरता, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण, नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा और खेल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उनका कहना था कि सात वर्षीय वाका लक्ष्मी प्रग्निका जैसे प्रतिभाशाली बच्चों के कारण ही भारत विश्व पटल पर शतरंज की महाशक्ति माना जाता है। अजय राज और मोहम्मद सिदान पी. ने अपनी वीरता और सूझबूझ से दूसरों की जान बचाकर अत्यंत प्रशंसनीय काम किया है। इसी तरह से नौ वर्षीय बेटी व्योमा प्रिया और ग्यारह वर्षीय बहादुर बेटे कमलेश कुमार ने अपने साहस से दूसरों की जान बचाते हुए अपने प्राण गंवा दिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह गौरव की बात है कि दस वर्षीय श्रवण सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान युद्ध से जुड़े जोखिमों के बावजूद अपने घर के पास सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को नियमित रूप से पानी, दूध और लस्सी पहुंचाई। वहीं, दिव्यांग बेटी शिवानी होसुरू उप्पारा ने आर्थिक और शारीरिक सीमाओं को पार करते हुए खेल जगत में असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं। वैभव सूर्यवंशी ने अत्यंत प्रतिस्पर्धी और प्रतिभा-समृद्ध क्रिकेट जगत में अपनी अलग पहचान बनाई है और कई रिकॉर्ड स्थापित किए। मुर्मू ने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसे साहसी और प्रतिभाशाली बच्चे आगे भी अच्छे कार्य करते रहेंगे और भारत के भविष्य को उज्ज्वल बनाएंगे। 

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