फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने के मास्टरमाइंड समेत 7 गिरफ्तार, OTP बाइपास कर अपात्रों को दिलवाया मुफ्त इलाज, सरकार को राजस्व नुकसान

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार: अपात्र लोगों के फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाकर सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले गिरोह का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया है। एसटीएफ ने गिरोह के मास्टरमाइंड समेत सात आरोपियों को गोमतीनगर विस्तार इलाके से गिरफ्तार किया है। आरोपी पात्र परिवारों की फैमिली आईडी में ओटीपी बाइपास कर अपात्र लोगों को जोड़ते थे। इसके बाद इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (आईएसए) और स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए-पीएमजेवाई) के अधिकारियों की मिलीभगत से आयुष्मान कार्ड संस्तुति कराकर इलाज कराते थे।

एसटीएफ मुख्यालय के एएसपी विशाल विक्रम सिंह की टीम ने 24 दिसंबर की रात गोमतीनगर विस्तार स्थित खरगापुर विजय नगर कॉलोनी में छापा मारकर आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरोह का मास्टरमाइंड व मुख्य आरोपी प्रतापगढ़ का चंद्रभान वर्मा है। वह बीए पास है। अन्य आरोपियों में इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (आईएसए) के वर्तमान व पूर्व एक्जीक्यूटीव और स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए-पीएमजेवाई) के ग्रीवांस एक्जीक्यूटिव, आयुष्मान मित्र और सहयोगी शामिल हैं।

इनकी हुई गिरफ्तारी

एएसपी विशाल विक्रम के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों में प्रतापगढ़ पट्टी जलालपुर किठौली का चंद्रभान वर्मा, जो विजयनगर खरगापुर में रहता है। इसके अलावा बाराबंकी जैदपुर के अहमदपुर का राजेश मिश्रा (पूर्व एक्जीक्यूटिव इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी-आईएसए), बाराबंकी के उधोली का सुजीत कन्नौजिया (वर्तमान एक्जीक्यूटिव आईएसए), जैदपुर अहमदपुर का सौरभ मौर्या (वर्तमान एक्जीक्यूटिव आईएसए), गाजीपुर के परसपुरा चौराहा झुन्नूलाल वर्तमान में मारूतीपुरम लेखराज इंदिरानगर का विश्वजीत सिंह (वर्तमान एक्जीक्यूटिव ग्रीवांस स्टेट हेल्थ एजेंसी), माल के मड़वाना का रंजीत सिंह (आयुष्मान मित्र कल्याण सिंह कैंसर इस्टीट्यूट लखनऊ) और इटावा सैफई नगला हरनाथ का अंकित यादव शामिल है। सभी गोमतीनगर विस्तार स्थित खरगापुर के विजयनगर में रहते थे। एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 12 मोबाइल फोन, 5 लैपटॉप, फर्जी आयुष्मान कार्ड से जुड़ा डिजिटल डेटा, 70 अपात्र लोगों के कार्ड के स्क्रीनशॉट, 22 एटीएम कार्ड, 8 पैन कार्ड, 8 आधार कार्ड, चेकबुक, पासबुक, थम्ब स्कैनर, क्यूआर कोड, मुहरें, प्रिंटर, सीपीयू, सिम कार्ड, एक अर्टिगा कार और 60,370 रुपये नकद बरामद किए हैं।

साइबर कैफे से तैयार किया गिरोह

एएसपी विशाल के मुताबिक पूछताछ में चन्द्रभान वर्मा ने बताया कि वर्ष 2024 में उसने लखनऊ में साइबर कैफे खोला था। वहीं से उसने अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाने का नेटवर्क खड़ा किया। गिरोह पात्र परिवारों की फैमिली आईडी में तकनीकी तरीके से ओटीपी बाइपास कर अपात्र लोगों को जोड़ता था। इसके बाद आईएसए और एसएचए में तैनात कर्मचारियों की मदद से कार्ड अप्रूव कराए जाते थे। प्रति कार्ड 6,000 रुपये तक वसूले जाते थे। अप्रूवल के लिए अलग-अलग स्तर पर रकम दी जाती थी।

2000 से अधिक फर्जी कार्ड

अभियुक्तों ने स्वीकार किया है कि अब तक 2000 से अधिक अपात्र व्यक्तियों के आयुष्मान कार्ड बनवाए जा चुके हैं। इन कार्डों के जरिए विभिन्न अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराया गया। एसटीएफ ने इसी गिरोह के दो सदस्यों को जून 2025 में प्रयागराज से गिरफ्तार कर 84 फर्जी आयुष्मान कार्ड बरामद किए थे। गिरोह के खिलाफ थाना साइबर क्राइम, लखनऊ में बीएनएस की कई धाराओं और आईटी एक्ट की धारा में एफआईआर दर्ज की गई है। गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है।

अप्रूवल के लिए दिये 20 लाख से ज्यादा कार्ड

पूछताछ में चंद्रभान वर्मा ने बताया कि उसने आईएसए और एसएचए से जुड़े कर्मचारियों को अब तक करीब 20 लाख से अधिक कार्ड अप्रूवल के लिए दिए हैं। गिरोह के अन्य सदस्यों ने भी स्वीकार किया कि अब तक 2000 से ज्यादा फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाए जा चुके हैं। पूछताछ में पता चला कि कल्याण सिंह कैंसर इंस्टीट्यूट लखनऊ में रंजीत सिंह, आयुष्मान मित्र के तौर पर कार्यरत है। वह अस्पताल के ही कंप्यूटर ऑपरेटर से मिलकर फर्जी कार्डों में जिले का मिसमैच ठीक करता था। इसके बाद इन्हीं कार्डों से अलग-अलग अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराकर अवैध कमाई की जाती थी।

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