सोना-चांदी में निवेश का सुपर तरीका... जानें विशेषज्ञ क्यों कह रहे हैं ETF सबसे बेहतर?
नई दिल्ली। कीमतों में रिकॉर्ड तेजी के साथ निवेशकों के सोना, चांदी में निवेश के लिए आकर्षित होने के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि उपलब्ध विभिन्न निवेश विकल्पों में गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) एक बेहतर विकल्प है। इसका कारण कम राशि के साथ सोना, चांदी में निवेश, उसके रखरखाव को लेकर कोई झंझट नहीं और कम लेन-देन शुल्क के साथ उच्च तरलता यानी भुनाने की सुविधा है। उनका यह भी कहना है कि यदि आप भौतिक रूप से मूल्यवान धातु को महत्व देते हैं, निवेश के लिए सोने/चांदी के सिक्के/बिस्कुट बेहतर है। चूंकि आभूषण खरीदने में उसे बनाने के शुल्क का भुगतान करना होता है, वह बेहतर विकल्प नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इस साल अबतक सोने में 82 प्रतिशत जबकि चांदी में 175 प्रतिशत की तेजी आई है। मल्टीकमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में सोना एक जनवरी को 76,772 रुपये प्रति 10 ग्राम था जो 26 दिसंबर को 1,39,890 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। वहीं चांदी एक जनवरी को 87,300 रुपये प्रति किलो थी, जो 26 दिसंबर को बढ़कर 2,40,300 रुपये प्रति किलो पहुंच गयी है।
निवेश के विकल्पों के बारे में मेहता इक्विटीज लि. के उपाध्यक्ष (जिंस) राहुल कलंत्री ने कहा, ‘‘मूल्यवान धातु में निवेश के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों में गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ बेहतर विकल्प है। इसका कारण यह सोना या चांदी को रखने की समस्या के बिना निवेश करने का एक आसान तरीका है। साथ ही यह अत्यधिक तरलता प्रदान करता है।’’
हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘जब सोना या चांदी में निवेश की बात करते हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप इसे किस रूप में रखते हैं। यह मूल रूप से आपके ज्ञान और खरीद के सबसे सुविधाजनक साधनों पर निर्भर करता है। अंततः, प्रत्येक व्यक्ति की पसंद उसके व्यक्तिगत लक्ष्यों, उपयोग की आवश्यकताओं और निवेश में बने रहने की अवधि के आधार पर अलग-अलग होगी।’’
आनंद राठी शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स लि. के निदेशक (जिंस और मुद्रा) नवीन माथुर ने कहा, ‘‘उपलब्ध विभिन्न निवेश विकल्पों में से, गोल्ड/सिल्वर ईटीएफ अब तक का सबसे अच्छा निवेश विकल्प है। इसका कारण निवेश के लिए उपलब्ध कम मूल्यवर्ग की इकाइयों, रखरखाव की कोई लागत न होने, अंतर्निहित ईटीएफ के माध्यम से शुद्धता की गारंटी, उच्च तरलता और कम लेनदेन लागत जैसे लाभ हैं।’’ गोल्ड/ सिल्वर ईटीएफ निवेश फंड हैं जिनका शेयर बाजारों में शेयरों की तरह कारोबार होता है। इसमें भौतिक रूप से सोना या चांदी खरीदे बिना कीमती धातुओं में निवेश किया जा सकता है। वे भौतिक रूप से सर्राफा (सोना/चांदी) या संबंधित परिसंपत्तियों को रखते हैं और उनकी कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर नजर रखते हैं। इसमें म्यूचुअल फंड के जरिये भी निवेश किया जा सकता है। सोने में निवेश भौतिक रूप से मूल्यवान धातु खरीदकर, ईटीएफ, वायदा एवं विकल्प या फिर म्यूचुअल फंड के जरिये किया जा सकता है।
विश्लेषकों के अनुसार, प्रत्येक विकल्प के अपने फायदे और नुकसान हैं, इसलिए निवेशकों के लिए यह आकलन करना महत्वपूर्ण है कि कौन सा विकल्प उनके लक्ष्यों के अनुकूल है। भौतिक रूप से मूल्यवान धातु खरीदने के फायदे-नुकसान के बारे में पूछे जाने पर कलंत्री ने कहा, ‘‘यदि आप भौतिक रूप से मूल्यवान धातु को महत्व देते हैं, सोने और चांदी के सिक्के/बिस्कुट बेहतर हैं। ये प्रत्यक्ष स्वामित्व प्रदान करते हैं और मूल्य के एक मजबूत भंडार के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन इसमें रखरखाव, बीमा लागत और कम तरलता यानी भुनाने की समस्या शामिल होती है।’’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चूंकि आभूषण खरीदने में उसे बनाने के शुल्क का भुगतान करना होता है, वह बेहतर विकल्प नहीं है। वायदा एवं विकल्प कारोबार के जरिये निवेश के बारे में कलंत्री ने कहा, ‘‘ये उन अनुभवी निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो अल्पकालिक अवसरों की तलाश में हैं या जोखिम को कम करने के लिए ‘हेजिंग’ करना चाहते हैं, लेकिन ये अधिक जोखिम भरे होते हैं।’’
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल सोना मुख्य रूप से सुविधाजनक होने, कम निवेश राशि, खरीदने और बेचने में आसानी और ऐप-आधारित निर्बाध पहुंच के कारण लोकप्रिय हो रहा है। यह आकर्षण विशेष रूप से युवा निवेशकों के बीच है, जो तकनीक को पसंद करते हैं और पारंपरिक भौतिक सोने की तुलना में डिजिटल संपत्तियों के साथ अधिक सहज हैं। इसमें निवेशक बहुत कम राशि से शुरुआत कर सकते हैं और उसके रखरखाव या शुद्धता को लेकर कोई परेशानी नहीं होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, डिजिटल सोना सेबी द्वारा विनियमित उत्पाद नहीं है। यह आमतौर पर निजी मंचों द्वारा पेश किया जाता है जहां सोना तृतीय-पक्ष ‘वॉल्ट’ (तिजोरी) प्रबंधकों के पास रखा होता है, जिसमें जोखिम जुड़े होते हैं।’’ कलंत्री ने कहा, ‘‘नियामकीय जोखिमों को देखते हुए, हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे केवल सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) द्वारा विनियमित उत्पादों के जरिये से ही सोना या चांदी में निवेश करें।’’ विश्लेषकों का कहना है कि कुल मिलाकर, इन विकल्पों में विविधतापूर्ण दृष्टिकोण अपनाने से निवेशकों को सुरक्षा, तरलता और वृद्धि क्षमता के बीच संतुलन बनाने में मदद मिल सकती है
