मिजोरम और गोवा के बाद त्रिपुरा बना देश का तीसरा पूर्ण साक्षर राज्य, चर्चा में रही BJP-TMP की खींचतान

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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अगरतला। मिजोरम और गोवा के बाद त्रिपुरा 2025 में देश का तीसरा पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया गया। वहीं, इस वर्ष सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी सहयोगी टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) के बीच खींचतान और बांग्लादेश से सुरक्षा संबंधी खतरे राज्य में प्रमुख मुद्दे रहे। राज्य की साक्षरता दर 95.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के दिशानिर्देशों के आधार पर शिक्षा मंत्रालय ने किसी राज्य को पूर्ण साक्षर घोषित करने के लिए 95 प्रतिशत से अधिक साक्षरता दर का मानदंड निर्धारित किया है।

पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में टीएमपी और भाजपा के बीच आंतरिक कलह देखने को मिली। इसी कड़ी में आगामी त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) चुनाव से पहले दोनों दलों की ओर से से एक-दूसरे के कार्यकर्ताओं पर हमले की घटनाएं सामने आई जिनमें कई कार्यकर्ता घायल हो गए। टीएमपी सुप्रीमो और पूर्व राजपरिवार के वंशज प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने ‘टिपरासा’ समझौते के कार्यान्वयन और राज्य में आदिवासियों द्वारा बोली जाने वाली कोकबोरोक भाषा के लिए रोमन लिपि को अपनाने पर अपनी पार्टी के रुख को दोहराया।

उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि ‘टिपरासा’ समझौते के प्रावधानों को तब तक लागू नहीं किया गया, तो पार्टी अगले साल अप्रैल में होने वाले टीटीएएडीसी चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी। टिपरासा समझौता, मूल निवासियों के समग्र विकास के लिए टीएमपी द्वारा केंद्र और राज्य सरकार के साथ 2024 में हस्ताक्षर किए गए एक करार के संदर्भ में है। टीएमपी ने क्षेत्रीय दलों के लिए एक साझा मंच ‘वन नॉर्थ ईस्ट’ (वन) का पहला सम्मेलन भी आयोजित किया, जिससे भाजपा और असहज प्रतीत होती है।

मुख्यमंत्री माणिक साहा ने टीएमपी पर पलटवार करते हुए कहा कि ‘‘राजनीतिक ब्लैकमेल’’ का असर उनकी सरकार पर नहीं पड़ेगा। एक स्थानीय अखबार के संपादक संजीव देब ने कहा कि दोनों दलों के बीच जारी विवाद के मद्देनजर टीटीएएडीसी चुनाव में भाजपा और टीएमपी के गठबंधन के रूप में मैदान में उतरने की संभावना कम है।

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि टीटीएएडीसी चुनाव के परिणाम का 2028 के विधानसभा चुनाव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बांग्लादेश में अशांति, अराजकता और भारत विरोधी भावनाओं में वृद्धि के मद्देनजर त्रिपुरा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। त्रिपुरा 90 के दशक में बड़े पैमाने पर रक्तपात का तब गवाह बना था जब नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) जैसे उग्रवादी समूहों ने बांग्लादेश में स्थित अपने ठिकानों से राज्य में उग्रवादी गतिविधियों को अंजाम दिया था, जिससे त्रिपुरा की शांति और विकास बाधित हुआ था।

टीएमपी के सहयोगी संगठन यूथ टिपरा फेडरेशन (वाईटीएफ) ने पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के विरोध में अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के पास एक रैली का आयोजन किया। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम -1971 की रिपोर्टिंग कर चुके वरिष्ठ पत्रकार शेखर दत्ता ने कहा कि पड़ोसी देश में होने वाली कोई भी घटना त्रिपुरा को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार बांग्लादेश से उत्पन्न होने वाले किसी भी सुरक्षा खतरे को विफल करने के लिए कदम उठाएगी, जो त्रिपुरा को तीन तरफ से घेरे हुए है। आर्थिक मोर्चे पर त्रिपुरा को तब बड़ी उपलब्धि हासिल हुई जब दिल्ली में आयोजित एक व्यापार शिखर सम्मेलन के दौरान राज्य को 3,700 करोड़ रुपये के बड़े निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। यदि ये प्रस्ताव जमीनी स्तर पर लागू होते हैं, तो उद्योगों की स्थापना और बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहायता मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोमती जिले में पुनर्निर्मित त्रिपुरेश्वरी मंदिर (एक शक्ति पीठ) का भी उद्घाटन किया। इस मंदिर के जीर्णोद्धार पर 51 करोड़ रुपये की लागत आई है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में, राज्य सरकार ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत एआईएमएस जीबीपी अस्पताल और अगरतला राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सकों को सेवाओं में सुधार के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। त्रिपुरा सरकार ने दावा किया कि कानून व्यवस्था बनी हुई है और पिछले दो वर्षों में अपराधों की संख्या में कमी आई है।

हालांकि, राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक जितेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि राज्य में ‘‘पूरी तरह से अराजकता’’ व्याप्त है और विपक्षी नेताओं को ‘‘भाजपा प्रायोजित हिंसा’’ का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध 2023 में 412 से घटकर नवंबर 2025 तक 275 रह गए। विधानसभा अध्यक्ष विश्व बंधु सेन का बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे।

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