ट्रंप का शुल्क बम, रूस-पाक विवाद और H-1B टेंशन: 2025 में भारत-अमेरिका रिश्तों की कठिन परीक्षा
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन। दंडात्मक शुल्क, पाकिस्तान के साथ संघर्ष और कठोर आव्रजन नीतियों के कारण 2025 में अमेरिका और भारत के संबंध उतार-चढ़ाव से भरे रहे तथा पिछले कई दशकों में पहली बार द्विपक्षीय संबंधों की इस तरह परीक्षा हुई और तनाव नजर आया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा और दोनों देशों के बीच 10 वर्षीय रक्षा ढांचा समझौते पर हस्ताक्षर को रिश्तों के उच्चतम स्तर के रूप में देखा गया।
अमेरिका और भारत के संबंधों के लिहाज से इस साल की शुरुआत बहुत अच्छी रही और मोदी ने फरवरी में वाशिंगटन की यात्रा कर व्हाइट हाउस (अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) में ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में उनके साथ पहली द्विपक्षीय बैठक की। ट्रंप के 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के कुछ ही हफ्तों के भीतर इजराइल, जापान और जॉर्डन के नेताओं के बाद मोदी उनसे मुलाकात करने वाले चौथे विदेशी गणमान्य व्यक्ति थे।
ट्रंप और मोदी ने पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण में 2025 में बातचीत करने की योजना की घोषणा की, जिसका लक्ष्य 2030 तक व्यापार को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 500 अरब अमेरिकी डॉलर करना है। इससे एक महीने पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 21 जनवरी को ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए अमेरिकी संसद भवन (यूएस कैपिटल) में अग्रिम पंक्ति में बैठकर कार्यक्रम में भाग लिया था और इसके कुछ घंटे बाद नए विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने जयशंकर समेत चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी की। लेकिन जैसे-जैसे महीने बीतते गए, द्विपक्षीय संबंध जो पूरी गति से आगे बढ़ रहे थे, उन्हें शुल्क और व्यापार को लेकर मतभेदों के रूप में बाधाओं का सामना करना पड़ा। ट्रंप ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए भारत और अन्य देशों की आलोचना की और कहा की कि वे अमेरिकी उत्पादों पर ऊंचे शुल्क लगाते हैं।
ट्रंप ने भारत को ‘‘अत्यधिक शुल्क लगाने वाला देश’’ बताया और उनके व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को ‘‘शुल्कों का महाराजा’’ कहा। ट्रंप ने दो अप्रैल को ‘मुक्ति दिवस’ करार देते हुए दुनिया भर के देशों पर प्रतिशोधी शुल्क लगाए और भारत पर 26 प्रतिशत शुल्क की घोषणा की। हालांकि ट्रंप ने विभिन्न अवसरों पर कहा कि भारत के साथ व्यापार समझौता ‘‘जल्द’’ होगा।
अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस ने भारत की यात्रा कर प्रधानमंत्री मोदी के साथ व्यापक बातचीत की। इस दौरान दोनों देशों ने पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में “महत्वपूर्ण प्रगति” की। वेंस और मोदी ने अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए संदर्भ शर्तों की घोषणा की। जब वेंस भारत में थे, तभी 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ जिसमें 26 आम नागरिकों की मौत हुई। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। सैन्य टकराव के चौथे दिन यानी 10 मई को ट्रंप ने अपने ‘ट्रुथ सोशल’ पेज पर अचानक घोषणा की कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच ‘‘संघर्षविराम कराया’’ है।
ट्रंप 10 मई के बाद से अब तक 70 से अधिक बार यह दावा दोहरा चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष सुलझाया तथा लड़ाई खत्म कराने के लिए उन्होंने व्यापार का इस्तेमाल किया। जून में, मोदी और ट्रंप की कनाडा में जी-7 नेताओं के शिखर सम्मेलन के इतर मुलाकात तय थी, लेकिन ट्रंप जल्दी वाशिंगटन लौट गए। हालांकि, दोनों नेताओं ने 17 जून को 35 मिनट तक फोन पर बातचीत की। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि मोदी ने ट्रंप को स्पष्ट संदेश दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद ‘‘किसी भी समय’’ और किसी भी स्तर पर भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर या भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका की मध्यस्थता के किसी प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हुई। ट्रंप भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद के आलोचक रहे हैं और अगस्त में उन्होंने भारतीय आयात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया, जिससे भारत पर कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया। अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए शुल्क की आलोचना की है।
ट्रंप प्रशासन ने वैध और अवैध दोनों तरह के आव्रजन पर कार्रवाई तेज की है और एच-1बी जैसे वीजा पर नए और कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। भारत और अमेरिका के संबंधों में इन जटिलताओं के बावजूद इस वर्ष दोनों पक्षों के बीच सहयोग के कुछ ऐसे क्षेत्र भी थे जो विशेष रूप से उल्लेखनीय रहे। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को दर्शाते हुए 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को भारत को प्रत्यर्पित किया।
इसके अलावा, अमेरिका ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया। दोनों देशों ने अक्टूबर में 10 वर्षीय रक्षा ढांचा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। वाशिंगटन ने मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत को सुनिश्चित करने में नयी दिल्ली के साथ निकटता से काम करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों पक्षों द्वारा संबंधों को सुधारने के प्रयासों के बीच कुआलालंपुर में हुई व्यापक वार्ता के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के युद्ध मंत्री पीट हेगसेठ ने ‘अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी’ समझौते के लिए रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए। द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियों के बावजूद ट्रंप और मोदी के बीच संवाद रिश्तों के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करते हैं।
मोदी ने हाल में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी “बहुत गर्मजोशी भरी और सार्थक बातचीत” हुई तथा उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा की और क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों पर चर्चा की। मोदी ने कहा, “भारत और अमेरिका वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।” मोदी को “बहुत अच्छे मित्र” और “एक महान प्रधानमंत्री” बताने वाले ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह अगले साल भारत आ सकते हैं।
