GSVM : कानपुरियां रंग में रंगे जीएसवीएम के 1995 बैच के छात्र-छात्राएं, पुराने छात्रों ने साझा की यादें
कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सभागार में रविवार को जेम्स एसोसिएशन ने वर्ष 1995 के छात्र-छात्राओं की सिल्वर जुबिली समारोह का आयोजन किया। समारोह में पांच वरिष्ठ डॉ. एसके कटियार, डॉ. नवनीत कुमार, डॉ. आरती लाल चंदानी, डॉ. आरपीएस भारद्वाज और डॉ. विनय कृष्णा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान वरिष्ठ डॉक्टरों को चिकित्सा क्षेत्र में असाधारण, दीर्घकालिक और महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करने के लिए दिया गया। यह चिकित्सा सेवा और अनुसंधान के प्रति पूरे जीवन हर तरह से समर्पित हैं।
सिल्वर जुबली समारोह में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के वर्ष 1995 बैच पैरा पी-1 के छात्र-छात्राएं रविवार को कॉलेज परिसर पहुंचे। परिसर पहुंचते ही डॉक्टरों की पुरानी यादें ताजा हो गई। डॉक्टरों ने कॉलेज के दिन, शिक्षकों और दोस्तों के साथ बिताए पलों को ताजा किया। फोटो व वीडियो अपने मोबाइल पर कैद की। 25 सालों में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और हॉस्टल में आए बदलावों की सराहना की। एक-दूसरे से मेल-मिलाप किया।
वहीं, पुराने अंदाज में साथियों ने हाथ मिलाया और गले मिले। हां, इस बीच कानपुरियां भाषा का क्रेज डॉक्टरों में काफी अधिक देखने को मिला, जैसे ज्यादा न बोलों बहुत पेलेंगे, हमसे ज्यादा बकैती न झोकों, हम से बड़े वाले थोड़ी न हो, का बे घूर का रहे हो, कंटाप देंगे, हमसे ज्यादा भौकाल न दिखाओं समेत आदि बातें कानपुरियां भाषा में की। रावतपुर, मोतीझील व आर्य नगर की चाय को याद किया।
स्टॉल में कानपुर का मलाई मक्खन, केसर कुल्फी, पान, चूरन आदि लुफ्त डॉक्टरों ने लिया। समारोह में डांस-म्यूजिक का दौर चला। डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज के ग्राउंड में हुए खेल और सेमिनार आदि पर खूब चर्चा की। वहीं, हॉस्टल में शिक्षकों के बिना अनुमति के आयोजित होने वाले कंपटीशन आदि की बात आपस में की।
ट्रैफिक से लोगों में बढ़ा चिड़चिड़ापन
ऑस्ट्रेलिया से आए डॉ. नितिन शुक्ला ने बताया कि अभी तक पांच तरह की समस्या से ग्रस्त मानसिक रोगी अधिक देखे जाते थे, जिसमे करियर में मजा नहीं आ रहा है, समाजिक रिश्ते, आर्थिक स्थिति, शरीर के अस्वस्थ और करीबी रिश्ते की वजह से आए परेशानी से लोग अधि ग्रस्त देखे जाते थे। लेकिन अब ट्रैफिक यानी जाम की वजह से लोगों के अंदर चिड़चिड़ापन की समस्या देखी जा रही है। जाम में फंसने की वजह से लोग तय समय पर निर्धारित स्थान पर नहीं पहुंच पा रहे हैं और 10 मिनट का रास्ता उन्हें 25 से 30 मिनट में कट रहा है, जिसका असर उनके मानसिक स्थिति पर भी पड़ रहा है।
जीएसवीएम ने बदल दी जिंदगी
लखनऊ से आई डॉ. नीरू मित्तल ने बताया कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में वह डॉक्टर बनने का सपना लेकर आईं थी। यहां पर मेहनत व लगन से एमबीबीएस की पढ़ाई की और मरीजों की सेवा की। इस दौरान यहां पर डॉ. प्रवीन राय से दोस्ती हुई और दोस्ती प्यार में बदली। इसके बाद शादी हुई और बेटी को जन्म दिया। यह खूबसूरत पल जीएसवीएम की वजह से मिला है, जो तउम्र नहीं भुलाया जा सकता है। साथ ही अच्छे मित्र और शिक्षकों ने हमेशा अपना मार्गदर्शन बनाए रखा।
यह डॉक्टर रहे मुख्य रूप से मौजूद
जेम्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सिंह, जीएसवीएम के प्राचार्य व संस्था के पैट्रन जेम डॉ.संजय काला, उप प्राचार्य डॉ. रिचा गिरी, पूर्व प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी, डॉ.रीना सिंह, डॉ. सौरभ गुप्ता, डॉ. नीलिमा वर्मा, डॉ.नितिन जायसवाल, डॉ. संतोष कुमार पाल, डॉ. बलबीर सिंह, डॉ. प्रेमशंकर, डॉ. संतोष कुमार बर्मन, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ. संजय वर्मा समेत आदि डॉक्टर रहे।
