स्वास्थ्य सेवाओं में आया बड़ा बदलाव, बुनियादी ढांचे से लेकर अनुशासन तक सख्ती
पद्माकर पाण्डेय/अमृत विचार : वर्ष 2025 उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़े सुधार, सख्त अनुशासन और आधुनिक सुविधाओं का साल रहा। प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में बुनियादी ढांचे से लेकर जवाबदेही तक व्यापक परिवर्तन देखने को मिले। जनमानस को गुणवत्ता युक्त इलाज मुहैय्या कराने के लिए प्रदेश भर में आईसीयू, वेंटिलेटर, सीटी स्कैन, डायलिसिस, पैथोलॉजी और आधुनिक जांच सुविधाओं का तेजी से विस्तार हुआ। जिला अस्पतालों से लेकर सीएचसी और पीएचसी तक स्वास्थ्य इकाइयों को अपग्रेड किया गया।
हब एंड स्पोक मॉडल, स्टेमी और ब्रेन स्ट्रोक कार्यक्रम बने जीवन रक्षक
इमरजेंसी मेडिकल केयर के क्षेत्र में वर्ष 2025 उत्तर प्रदेश के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। स्वास्थ्य विभाग द्वारा हब एंड स्पोक मॉडल पर शुरू किए गए हार्ट अटैक (स्टेमी) कार्यक्रम और ब्रेन स्ट्रोक कार्यक्रम प्रदेश की बड़ी उपलब्धियों में शामिल रहे। इन कार्यक्रमों के प्रारंभिक चरण में ही सैकड़ों मरीजों की जान बचाई गई, जबकि समय पर इलाज मिलने से अनेक मरीज स्थायी दिव्यांगता से भी सुरक्षित रहे। हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसे मामलों में गोल्डन ऑवर के भीतर उपचार सुनिश्चित कर मरीजों को जिला अस्पताल से उच्च चिकित्सा संस्थानों तक त्वरित रेफरल की व्यवस्था की गई। विशेषज्ञों के अनुसार, हब अस्पतालों को सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं से जोड़ा गया, जबकि स्पोक अस्पतालों में प्रारंभिक इलाज, जांच और स्थिरीकरण की व्यवस्था की गई, जिससे इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम अधिक प्रभावी हुआ।
सरकारी अस्पतालों में तैयार होंगे विशेषज्ञ चिकित्सक
सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर करने की दिशा में वर्ष 2025 में ऐतिहासिक पहल की नींव रखी गई। राज्य सरकार ने डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) पाठ्यक्रम के माध्यम से सरकारी अस्पतालों को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत राज्य सरकार ने 10 वर्ष व 13 वर्ष का अनुभव रखने वाले डिप्लोमाधारी चिकित्सकों का विवरण सरकारी अस्पतालों के प्रशासन से मांगा है। अनुभवी चिकित्सकों की उपलब्धता के आधार पर नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ( एनबीई) द्वारा डीएनबी सीटों को स्वीकृति दी जाएगी। इस पहल से न केवल सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी उच्च स्तरीय इलाज उपलब्ध हो सकेगा। वर्तमान में प्रदेश के 39 सरकारी अस्पतालों में विभिन्न विषयों की 132 डीएनबी सीटें हैं, जिन पर अभ्यर्थी चिकित्सकों को प्रवेश मिल रहा है ।
प्रमुख उपलब्धियां
- प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 3133 से अधिक आईसीयू बेड उपलब्ध
- प्रदेश के सभी जिलों में, जिला अस्पताल व मंडलीय अस्पताल में निःशुल्क सीटी स्कैन जांच
- प्रदेश के 54 सरकारी अस्पतालों में बेरा जांच से मूक-बधिर दिव्यांगों को राहत
- विभिन्न जिलों की 185 सीएचसी में डेंटल चेयर की स्थापना
- 20 जिलों में सीसा विषाक्तता जांच परियोजना लागू
- 102/108 एंबुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम घटकर देश में नंबर वन
- 2554 नई एंबुलेंस, विश्व का सबसे बड़ा सरकारी एंबुलेंस क्रय
निजी अस्पतालों में मिलने लगी रियायती ओपीडी सुविधा
आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जय) के क्रियान्वयन में 2025 में यूपी देश का पहला राज्य बन गया है, जहां आयुष्मान लाभार्थियों को निजी अस्पतालों में रियायती दरों पर ओपीडी परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। गरीब एवं वंचित परिवारों को अस्पताल में भर्ती हुए बिना ही प्रारंभिक परामर्श और समय पर इलाज का लाभ मिल रहा है, जिससे गंभीर बीमारियों की पहचान पहले चरण में ही संभव हो पा रही है।
आयुष्मान योजनाओं में फर्जीवाड़े पर त्वरित कार्रवाई
आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत वर्ष 2025 में वित्तीय अनुशासन की भी सख्त मिसाल पेश की गई। जांच में सामने आया कि 39 अस्पतालों को 9.94 करोड़ रुपये का गलत भुगतान ट्रांसफर हो गया था। लेकिन तत्काल कार्रवाई होने पर अस्पतालों से राशि की रिकवरी की गयी। इस मामले के बाद डेटा सिक्योरिटी प्रोटोकॉल को और मजबूत किया गया। भुगतान प्रणाली में अतिरिक्त जांच व निगरानी तंत्र लागू किया गया ।
5.21 करोड़ आयुष्मान कार्ड, 57 लाख से अधिक मरीजों का मुफ्त इलाज
22,000 आयुष्मान आरोग्य मंदिर, यूपी देश में अग्रणी
योग दिवस पर 8.27 लाख लोगों ने किया योग, यूपी नंबर वन
लापरवाही, अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार पर सख्ती
-बिना सूचना गैरहाजिर रहने वाले 50 से अधिकार डॉक्टर बर्खास्त या निलंबित
- रिश्वत, प्राइवेट प्रैक्टिस और लापरवाही पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत त्वरित कार्रवाई हुई
- मरीजों से दुर्व्यवहार और अवैध वसूली पर त्वरित कार्रवाई
नई व्यवस्थाएं
- ऑनलाइन पेशेंट फीडबैक सिस्टम
- पोस्टमार्टम अधिकतम 4 घंटे में पूरा करने की गाइडलाइन
- सभी अस्पतालों में फायर सेफ्टी मॉकड्रिल अनिवार्य
- 355 विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती (एनएचएम)
- नर्सों को नया सम्मानजनक पदनाम — नर्सिंग अधिकारी
अनुशासन और पारदर्शिता
- ड्यूटी से गैरहाजिर चिकित्सा शिक्षकों की बर्खास्तगी
- प्राइवेट प्रैक्टिस, भ्रष्टाचार और टेंडर अनियमितताओं पर कड़ी कार्रवाई
- गलत मरीज को ऑपरेशन टेबल पर लिटाने जैसे मामलों में तत्काल निलंबन
चिकित्सा शिक्षा विभाग की वार्षिकी – 2025
चिकित्सा शिक्षा में उप्र. बना नया मॉडल, रिकॉर्ड कॉलेज और हाईटेक इलाज की सौगात
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने वर्ष 2025 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या, सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं और शैक्षणिक अनुशासन में अभूतपूर्व प्रगति दर्ज की गई। एक ही वर्ष में सबसे अधिक मेडिकल कॉलेज खोलकर यूपी ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। प्रदेश में अब 81 मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। प्रदेश में 12800 एमबीबीएस और 4297 पीजी सीटों पर प्रवेश मिल रहे हैं। हालांकि शिक्षकों की कमी से निर्धारित मानक न पूरे होने की वजह से सरकारी मेडिकल कॉलेजों ने जुर्माना भी भरा, मगर गेस्ट शिक्षकों को नियुक्त कर न केवल मानक पूरे किए, बल्कि 5450 एमबीबीएस और 2,137 पीजी अभ्यर्थियों को शिक्षा भी प्रदान कर रहे हैं।
प्रमुख उपलब्धियां
-65 मेडिकल कॉलेज पूर्ण क्षमता से संचालित
-एक वर्ष में 13 नए राजकीय व 3 पीपीपी मेडिकल कॉलेज
- 27 नए पैरामेडिकल कॉलेज
- मेडिकल कॉलेजों में आईसीयू, वेंटिलेटर, जांच और आधुनिक मशीनें
-केजीएमयू में बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट
- लोहिया संस्थान में गामा नाइफ मशीन (48 करोड़)
-रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत
- मेडिकल कॉलेजों में 130 करोड़ से अधिक के आधुनिक उपकरणों की खरीदे गए
- मेडिकल कॉलेजों में मैनपावर और प्रशिक्षण में वृद्धि
