KGMU News : लव जिहाद को लेकर केजीएमयू प्रशासन संग VHP ने की बैठक

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

लखनऊ। लव जिहाद को लेकर विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के मुख्य गेट पर धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। दोपहर में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मुख्य गेट पर पहुंचे और नारेबाजी शुरू की। हालात को देखते हुए केजीएमयू प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। 

केजीएमयू के सर्जरी विभाग के सभागार में परिषद पदाधिकारियों और प्रशासन के बीच विस्तृत बातचीत हुई। परिषद ने धर्मान्तरण प्रयास से जुड़े मामले की जांच कर रही कमेटी पर सवाल उठाए। इस पर प्रशासन ने परिषद की मांग के अनुरूप जांच कमेटी में क्वीन मेरी अस्पताल की विभागाध्यक्ष डॉ. अंजू अग्रवाल को शामिल किया। साथ ही पूर्व पुलिस महानिदेशक व पूर्व सूचना आयुक्त भावेश कुमार सिंह को भी सदस्य बनाया गया। 

केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने बताया कि अब सात सदस्यीय कमेटी पूरे प्रकरण की जांच करेगी। प्रवक्ता ने बताया कि पैथोलॉजी विभाग के आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है। केजीएमयू परिसर और हॉस्टल में लगाई गई पाबंदियां हटा ली गई हैं। मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना ठोस कारण एसटीएफ या एटीएस से जांच कराने के लिए प्रशासन पत्र नहीं लिख सकता। 

उन्होंने बताया कि धर्मान्तरण प्रयास से जुड़ी किसी भी जानकारी, घटना या साक्ष्य साझा करने के लिए केजीएमयू ने एक ईमेल आईडी जारी की है। डॉक्टरों, कर्मचारियों और जागरूक नागरिकों से तथ्य भेजने की अपील की गई है। डॉ. केके सिंह ने बताया कि आउटसोर्सिंग में विशेष समुदाय की अधिक तैनाती के आरोपों की जांच की गई। आंकड़ों के अनुसार केजीएमयू में 3995 आउटसोर्सिंग कर्मचारी हैं, जिनमें 289 अल्पसंख्यक वर्ग से हैं। पैथोलॉजी विभाग में 51 कांट्रेक्चुअल नॉन-टीचिंग कर्मचारी हैं, जिनमें 2 अल्पसंख्यक हैं। पीओसीटी में 174 आउटसोर्सिंग नॉन-टीचिंग कर्मचारी हैं, जिनमें 25 अल्पसंख्यक शामिल हैं। 

प्रवक्ता ने कहा कि तथ्यों से आरोप निराधार सिद्ध होते हैं। वहीं विश्व हिन्दू परिषद के जिला संगठन मंत्री समरेंद्र प्रताप ने कहा कि इस प्रकरण से केजीएमयू की छवि प्रभावित हुई है। उन्होंने आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर को ब्लैकलिस्ट कर प्रवेश निरस्त करने की मांग की। साथ ही रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों की तैनाती और तदर्थ कर्मचारियों को दिए जा रहे लाभों की स्वतंत्र जांच कराकर दोषियों से रिकवरी की मांग की।  

संबंधित समाचार