काशीपुर: आईआईएम में सरकार के चीफ इकनोमिक एडवाइजर ने इकनोमिक सर्वे के पहलुओं से कराया रूबरू
काशीपुर, अमृत विचार। भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) ने वेबिनार पहल ‘तेजस’ लीडरशिप टॉक सीरीज के लिए अतिथि वक्ता के रूप में भारत सरकार के चीफ इकनोमिक एडवाइजर डॉ. केवी सुब्रमण्यन को आमंत्रित किया। इस दौरान उन्होंने इकनोमिक सर्वे के विभिन्न पहलुओं और विभिन्न क्षेत्रों पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला। आईआईएम संस्थान में कॉरपोरेट रिलेशंस …
काशीपुर, अमृत विचार। भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) ने वेबिनार पहल ‘तेजस’ लीडरशिप टॉक सीरीज के लिए अतिथि वक्ता के रूप में भारत सरकार के चीफ इकनोमिक एडवाइजर डॉ. केवी सुब्रमण्यन को आमंत्रित किया। इस दौरान उन्होंने इकनोमिक सर्वे के विभिन्न पहलुओं और विभिन्न क्षेत्रों पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला।
आईआईएम संस्थान में कॉरपोरेट रिलेशंस कमेटी द्वारा आयोजित ‘तेजस’ लीडरशिप टॉक सीरीज में अनेक क्षेत्रों के विभिन्न उद्योगों और संस्थानों के प्रख्यात व्यक्ति छात्रों से अपने इंडस्ट्री के मूल्यवान अनुभवों को साझा करते हैं। इस फ्लैगशिप टॉक सीरीज में उद्योग जगत के कई दिग्गज शामिल हुए। वहीं कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में भारत सरकार के चीफ इकनोमिक एडवाइजर डॉ. केवी सुब्रमण्यन रहे। इसके अलावा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के एमडी और सीईओ आशीष चौहान, केपीएमजी दुबई के बोर्ड सदस्य रिचर्ड रेखी, बजाज ऑटो के सीएफओ सौमेन रे आदि शामिल हुए।
डॉ. सुब्रमण्यन ने सत्र की शुरुआत करते हुए कहा “इकनोमिक सर्वे यह बताता है कि कैसे बाजारों और निजी क्षेत्र को सक्षम बनाने से समृद्धि और नैतिक संपदा का निर्माण होता है”। जिसके माध्यम से उन्होंने इकनोमिक सर्वे के विभिन्न पहलुओं और विभिन्न क्षेत्रों पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को यह समझने में मदद की कि इकनोमिक सर्वे कैसे आज के दुनिया में हो रहे सुधारों को आकार देने में मदद करता है। उन्होंने निजीकरण के संबंध में बड़े बदलावों के पीछे गहन सोच के महत्व पर भी जोर दिया और धन सृजन पर भी ध्यान दिया। उन्होंने दीर्घकालिक जीडीपी विकास के तीन सिद्धांतों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया मॉनेटरी और फिस्कल नीति दोनों मांग और आपूर्ति को बढ़ाने के लिए कैसे मिलकर काम करते हैं, कैसे कैपिटल एक्सपेंडिचर और रेवेनु एक्सपेंडिचर अधिक इन्फ्लेशन के बिना विकास को सक्षम बनाता है और कैसे मल्टीप्लायर इफ़ेक्ट बढ़ता है। जब सरकार कैपिटल एक्सपेंडिचर पर ध्यान देती है। उन्होंने इकनोमिक सर्वे से प्राप्त पेचीदा अंतर्दृष्टि और पूर्व-कोविड स्तरों के संबंध में नीतिगत प्रतिक्रियाओं के प्रभाव के बारे में भी बताया।
