लालकुआं: मंगल की मौत के बाद अब कैसे जलेगा पांच असहायों का चूल्हा

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लालकुआं, अमृत विचार। मंगल की आकस्मिक मृत्यु के बाद उसके परिवार के भरण पोषण का बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। मृतक अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। परिवार में कैंसर रोगी बुजुर्ग पिता, विधवा पत्नी और तीन बच्चे हैं। कम उम्र में ही बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। मृतक के …

लालकुआं, अमृत विचार। मंगल की आकस्मिक मृत्यु के बाद उसके परिवार के भरण पोषण का बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। मृतक अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। परिवार में कैंसर रोगी बुजुर्ग पिता, विधवा पत्नी और तीन बच्चे हैं। कम उम्र में ही बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया।

मृतक के पिता छोटेलाल परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि वे स्वयं कैंसर से पीड़ित और वृद्धावस्था में हैं। मृतक की बड़ी बेटी लक्ष्मी कक्षा 6 में पढ़ती है। जबकि बेटा नवीन कक्षा तीन और राजा कक्षा दो में हैं। गुजर-बसर के लिए परिवार के पास जमीन भी बहुत कम है। इसी कारण छोटेलाल मेहनत मजदूरी करके अपने बेटे को ज्यादा नहीं पढ़ा सके थे। मंगल बचपन से ही गांव में छोटे-मोटे काम के साथ परिवार का हाथ बंटाता था।

बाद में उसने बिजली का काम सीख सीख लिया था। वह शादी बारात में डीजे आदि पर बिजली की फिटिंग कर चार पैसे कमा कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था। घटना के दिन भी मृतक इसी काम से राजीव नगर घोड़ा काला स्थित एक बारात की बुकिंग में गया था। लेकिन फिर जीवित घर वापस नहीं लौटा। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता जीवन लाल आर्य ने कहा है कि स्थानीय लोगों को इस परिवार की मदद के लिए आगे आना चाहिए। मानवीय दृष्टि से सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल प्रशासन को भी इस गरीब परिवार की मदद करनी चाहिए।

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