International Tea DAY: यारों की महफिल हो या दिन की थकान, चाय की चुस्की से बन जाती है बात, जानिए क्या चाय का इतिहास?

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चाय के शौकीनों के लिए आज बेहद खास दिन है। जी हैं आज है अन्तरराष्ट्रीय चाय दिवस। यह दिन खासतौर से चाय और इसके शौकीनों को समर्पित है। 21 मई को हर साल अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है। दुनिया भर में चाय के बागानों में काम करने वाले श्रमिकों के अलावा चाय के उत्पादकों …

चाय के शौकीनों के लिए आज बेहद खास दिन है। जी हैं आज है अन्तरराष्ट्रीय चाय दिवस। यह दिन खासतौर से चाय और इसके शौकीनों को समर्पित है। 21 मई को हर साल अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है। दुनिया भर में चाय के बागानों में काम करने वाले श्रमिकों के अलावा चाय के उत्पादकों पर पूरी दुनिया का ध्यान खींचने के लिए अन्तरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है।

अगर बात करें इस दिन के इतिहास की तो दुनिया के पांच प्रमुख चाय उत्पादक देश चीन, भारत, केन्या, वियतनाम और श्रीलंका के अलावा इंटरनेशनल टी डे मलावी, तंजानिया, बांग्लादेश, यूगांडा, इंडोनेशिया और मलेशिया में भी मनाया जाता है।

भारत में चाय का इतिहास है बेहद दिलचस्प
भारत में चाय के शुरुआत की कहानी बेहद दिलचस्प है। दरअसल गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने 1834 में जब भारत आए तो उन्होंने असम में देखा कि वहां के लोग चाय की पत्तियों के साथ उबालकर पानी पीते हैं जिसे वो दवाई की तरह इस्तेमाल करते थे।

बैंटिक ने लोगों को चाय की जानकारी दी। एक समिति का गठन किया, जिसके बाद चाय की परंपरा भारत में शुरू हो गई। इसके बाद 1835 में असम में चाय के बाग लगाए गए। भारत में सन 1881 में इंडियन टी एसोसिएशन की स्थापना की गई, जिसने भारत में ही नही अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भी चाय के उत्पादन को फैलाया।

चाय अंग्रेजों की आय का मुख्य स्रोत भी बन गई थी। यहां चाय उगाकर वो इसे बडे़ पैमाने पर विदेशों में भेजते थे। चाय पर चीन के एकाधिकार को तोड़ने के लिए चाय के वाणिज्यिक उत्पादन को पहली बार अंग्रेजों ने भारत में पेश किया। अंग्रेजों ने चीनी बीज, चीनी रोपण और खेती की तकनीक का उपयोग करके, असम में चाय उद्योग शुरू किया जो निर्यात के लिए था।

पहली बार चाय की खेती चीन ने की थी
चाय की खेती पहली बार चीन में की गई थी, इसे लेकर एक कहानी प्रचलित है कि एक बार सम्राट शेनॉन्ग अपने बगीचे में बैठे हुए गर्म पानी पी रहे थे। इसी दौरान एक पेड़ की पत्ती उनके उबलते हुए पानी के कप में गिर गई जिसकी वजह से पानी का रंग बदल गया और महक भी आने लगी। सम्राट ने जब इस पानी को चखा तो उन्हें उसका स्वाद बेहद पसंद आया और इस प्रकार चाय का अविष्कार हुआ।

जानिए चाय के कुछ लाजवाब फायदे
बगैर दूध और शक्कर की चाय को आम तौर पर काली चाय कहा जाता है, जो हृदय और पेट के लिए लाभदायक होती है। यह पाचन तंत्र की गड़बड़ी को भी काफी हद तक दूर कर देती है।

ग्रीन-टी के रूप चाय, तनाव कम करने से लेकर वजन कम करने में भी प्रभावकारी है। यही नहीं ग्रीन-टी, कैंसर से लड़ने में आपकी मदद करती है,और बढ़ती उम्र के असर को कम करने में भी सहायक होती है।

एक शोध के अनुसार चाय पीने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और गर्भ कैंसर अपेक्षाकृत कम होता है, और चाय पीने के बाद उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।

शोध में यह बात सामने आई है, कि कॉफी के मुकाबले चाय अधिक फायदेमंद होती है, क्योंकि इसे छानकर पिया जाता है, जिससे यह कम नुकसानदायक होती है। जबकि कॉफी को बगैर छाने पिया लेने से उसमें मौजूद कैफीन हमारे स्वास्थ्य को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।

लेमन-टी के रूप में चाय का सेवन आपके शरीर से हानिकारक तत्वों को खत्म करता है, और ताजगी बनाए रखता है। नींबू में पाए जाने वाले विटामिन -सी का लाभ भी आपके शरीर को मिलता है।

चाय दुनिया के सबसे पुराने पेय पदार्थों में से एक है, और पानी के बाद दुनिया में सबसे अधिक पिया जाने वाला पेय है।

दुनिया भर में चाय की प्रति व्यक्ति खपत में पिछले एक दशक में प्रति वर्ष 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.विश्व की 60 प्रतिशत चाय उत्पादन के लिए छोटे मालिक जिम्मेदार हैं।

चाय चार मुख्य उत्पादक देशों (चीन, भारत, श्रीलंका और केन्या) में 9 मिलियन छोटे किसानों की आजीविका का समर्थन करती है।

वैश्विक चाय उत्पादन 17.0 अरब डॉलर से अधिक का है।

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