बरेली: हैंडपंप तो भरपूर लेकिन बच रहे जिम्मेदार, योगी के आदेश की अफसरों को परवाह नहीं

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बरेली, अमृत विचार। पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए थे कि नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों में लगे सभी हैंडपंप ठीक कराए जाएं, ताकी गर्मी में पानी की दिक्कत न हो। योगी के आदेश से जब हैंडपंपों को लेकर हलचल मची तो खराब हैंडपंपों का सत्यापन कराया गया, लेकिन …

बरेली, अमृत विचार। पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए थे कि नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों में लगे सभी हैंडपंप ठीक कराए जाएं, ताकी गर्मी में पानी की दिक्कत न हो। योगी के आदेश से जब हैंडपंपों को लेकर हलचल मची तो खराब हैंडपंपों का सत्यापन कराया गया, लेकिन उसके बाद जिम्मेदार विभाग हैंडपंप ठीक कराना ही भूल गया।

सरकारी आंकड़ों की माने तो जिले में करीब तीन हजार सरकार हैंडपंप खराब पड़े हैं। इनमें सबसे ज्यादा हालात खराब ब्लाक आलमपुर जाफरबाद के है। यहां के 856 हैंडपंप ठीक होने हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा संबंधित ग्राम पंचायत और निकाय के स्तर पर होने वाले मरम्मत कार्य को लेकर भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।

बता दें, शहर से लेकर गांव तक शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए सरकार की ओर से इंडिया मार्का हैंडपंप लगाए जाते हैं। साथ ही ट्यूबवेल और ओवरहेड टैंक के सहारे पेयजलापूर्ति की जाती है। हैंडपंप और ट्यूबवेल लगाने का काम जल निगम की ओर से किया जाता है, जबकि इसके रखरखाव का जिम्मा संबंधित निकाय और ग्राम पंचायत का होता है।

मानक के अनुरूप इंडिया मार्का हैंडपंपों के बारिंग की गहराई 140 से 160 फीट तक होती है, जबकि ट्यूबवेल की गहराई तीन सौ से चार सौ फीट तक होती है। यह गहराई कम और ज्यादा हो सकती है। हैंडपंपों का क्लोरीनेशन भी किया जाता है, ताकि पानी में मिले विभिन्न प्रकार के धातु और सूक्ष्म अशुद्धियां भी दूर हो जाएं और लोगों को शुद्ध पेयजल प्राप्त हो सके। लेकिन, सिस्टम की सुस्ती से शासन की मंशा पूर्ण नहीं हो पा रही है।

वर्तमान की बात की जाए तो जिले में आबादी के अनुरूप 36979 हैंडपंप लगे हैं। इनमें करीब तीन हजार हैंडपंप पूरी तरह से खराब हो गए हैं। इन हैंडपंपों को रिबोर कराया जाना है। एक हजार हैंडपंपों की मरम्मत होनी है। मरम्मत का बजट ग्राम पंचायत और संबंधित निकाय को मिलता है, लेकिन जिले में हैंडपंपों की मरम्मत को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

हर साल होता है हैंडपंप रिबोर के नाम पर खेल
सरकारी हैंडपंपों के रिबोर के नाम पर हर साल लाखों रुपये का गोलमाल होता है। छिटपुट कमियां या फिर ठीक हैंडपंप को ही प्रधान और सचिव साठगाठ से फर्जी बोरिंग कराकर धनराशि डकार जाते हैं। इसके कुछ समय बाद यह हैंडपंप फिर खराब हो जाते हैं। ग्रामीणों की शिकायत पर पूर्व में इस तरह के कई मामले पकड़े जा चुके हैं। जिसमें ग्राम प्रधान व संबंधित ग्राम पंचायत के सचिव से रिकवरी कराई गई। लेकिन रिबोर के नाम होने वाला खेल अब भी चल रहा है।

ये है रिबोर का नियम
शासन ने ग्राम पंचायतों को सिर्फ हैंडपंप मरम्मत का अधिकार दिया हुआ है। ऐसे में हैंडपंप में आने वाली छोटी मोटी खराबी को ही ग्राम प्रधान ठीक करा सकते हैं। लेकिन नया हैंडपंप और रिबोर सिर्फ विधायक की संस्तुति पर ही हो सकता है। नए हैंडपंप पर 50 हजार और रिबोर में करीब 40 हजार का खर्च आता है। ऐसे में रिबोर के लिए तमाम हैंडपंप विधायकों की संस्तुति के अभाव में फंसे हुए है।

हालाकि अफसरों का कहना है पिछले दिनों योगी सरकार ने रिबोर का नियम बदल दिया है। ग्राम प्रधान अब मरम्मत के साथ ही 13वें व 14वें वित्त आयोग के धन से स्वयं हैंडपंप रिबोर करा सकते हैं। इसके लिए उन्हें जल निगम के इंजीनियर से तकनीकी मुआयना कराना होगा। यह आदेश सभी ब्लाकों को जारी किया जा चुका है।

खराब हैंडपंपों की ब्लाक वार स्थिति
भोजीपुरा में 34, मझगवां में 356, भुता में 134, आलमपुर जाफराबाद में 856, भदपुरा में 42, नवाबगंज में 91, शेरगढ़ में 195, बिथरीचैनपुर में 347, फरीदपुर में 236, रामनगर में 163, दमखोदा में 197, फतेहगंज पश्चिमी में 65, मीरगंज में 157 और क्यारा में 105 हैंडपंप खराब हैं।

खराब पड़े हैंडपंप की सूची ब्लाक स्तर से मंगाई 
डीपीआरओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि गांवों में खराब पड़े हैंडपंप की सूची ब्लाक स्तर से मंगाकर तैयार की गई है। हैंडपंप रिबोर का काम चल रहा है। जल्द ही खराब पड़े सभी हैडपंप ठीक हो जाएंगे।

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