गंगा दशहरा आज : घर पर ही स्नान और पूजा-अर्चना करने से मिल सकता है पुण्य

हल्द्वानी, अमृत विचार। हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 20 जून को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आईं थीं। हिंदू धर्म में इस दिन …

हल्द्वानी, अमृत विचार। हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 20 जून को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आईं थीं। हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन विधि-विधान से मां गंगा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मां गंगा की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार कोरोना वायरस की वजह से घर में रहकर ही मां गंगा की पूजा-अर्चना करने की अपील की गई है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि उत्तराखंड वासियों के लिए यह पर्व बहुत खास है, क्योंकि देवभूमि से ही गंगा का अवतरण हुआ है। इसलिए इस दिन लोग बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। हालांकि इस बार कोरोना की वजह से लोग गंगा स्नान नहीं कर पाएंगे, लेकिन वह घर पर रहकर भी पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करें तो उनकी हर मनोकामना पूरी होगी। यहीं नहीं यह मांगलिक कार्यों के लिए भी खास है। उन्होंने लोगों से ‘ दशपाप हरायै गंगायै नम: ‘ मंत्र का जाप करने को कहा है।

गंगा दशहरा मुहूर्त
दशमी तिथि प्रारंभ – जून 19, 2021 को शाम 06:45 बजे
दशमी तिथि समाप्त – जून 20, 2021 को शाम 04:21 बजे

गंगा दशहरा की पूजा-विधि
पंडित गोपाल दत्त भट्ट ने बताया कि इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस बार कोरोना वायरस की वजह से गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं, इसलिए घर में रहकर ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर मां गंगा का ध्यान कर स्नान करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इस दिन मां गंगा का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस दिन दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। घर में रहकर ही मां गंगा की आरती करें।

गंगा दशहरा का महत्व
इस पावन दिन मां गंगा की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। मां गंगा की पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा के पर्व पर दान-पुण्य का भी विशेष महत्तव माना जाता है। गंगा दशहरा पर शीतलता प्रदान करने वाली वस्तुओं को दान करने का विशेष महत्व है। इनमें आप ठंडे फल, पंखा, मटका, सत्तू को दान कर सकते हैं।

इन घरों पर नहीं गिरती आकाशीय बिजली
उत्तराखंड में यह पर्व खास स्वरूप में मनाया जाता है, क्योंकि गंगा का अवतरण इसी क्षेत्र में हुआ था। उत्तराखंड के खास तौर पर कुमाऊं क्षेत्र में इस दिन पुरोहितों की ओर से निर्मित द्वार पत्र वज, निवारक मंत्रों के साथ घरों कें मुख्य दरवाजों के ऊपर लगाए जाते हैं। इसके तहत क्षेत्र में यहां के पंडितों की ओर से एक वर्गाकार सफेद कागज में विभिन्न रंगों के अंदर शिव, गणेश, दुर्गा, सरस्वती, गंगा आदि का रंगीन चित्र बनाकर उसके चारों ओर एक वृतीय या बहुवृत्तीय कमलदलों का अंकन किया जाता है। जिसमें लाल, पीले, हरे रंग भरे जाते हैं और उसके बाहर वज्रनिवारक पांच ऋषियों के साथ श्लोक लिखे जाते हैं।

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