आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है भीमेश्वर महादेव मंदिर और छोटा कैलाश मंदिर

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भीमताल, अमृत विचार। भगवान शिव के प्रति आस्था रखने वाले भक्त सावन माह में शिव की पूजा करने भीमताल भीमेश्वर महादेव मंदिर शिव भक्तों में आज भी आस्था और श्रद्धा का अनूठा केंद्र है। शिवालय की शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नगर और आसपास के क्षेत्रों में सूखा पड़ने …

भीमताल, अमृत विचार। भगवान शिव के प्रति आस्था रखने वाले भक्त सावन माह में शिव की पूजा करने भीमताल भीमेश्वर महादेव मंदिर शिव भक्तों में आज भी आस्था और श्रद्धा का अनूठा केंद्र है। शिवालय की शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नगर और आसपास के क्षेत्रों में सूखा पड़ने की स्थिति में भक्त जब शिवालय के डूबने तक जलाभिषेक करते हैं। इसके कुछ पल बाद ही बारिश शुरु हो जाती है।

स्कंद पुराण के मानस खंड में भी इस शिवलिंग का उल्लेख है किवदंती है कि इस शिवालय की स्थापना पुरातन काल में दम्यंती के पिता राजा भीमसेन ने की थी  किवदंती  तो यह भी है कि जब भीम को पानी की जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने जमीन पर गदा मारकर पानी निकाला और उसी से झील बनी तब से ही  भीमताल को भीमताल कहा जाने लगा मंदिर के पुजारी मदन गिरी बताते हैं कि पहले मंदिर झील की तरफ से लगा हुआ था लेकिन बाद में ब्रिटिश शासन काल में जब तराई-भाबर में पानी की कमी महसूस हुई तो वर्ष 1980 के करीब झील और मंदिर के मध्य सर्पिलाकार तटबंध बनाया गया जिसे तराई भावर में सिंचाई के लिए व पीने के पानी की परेशानियों से निजात मिल सके।

वहीं भीमताल ब्लॉक के ग्रामसभा पिनरों में स्थित छोटा कैलाश मंदिर शिव भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रतीक हैं यहां भगवान शिव के प्रति आस्था रखने वाले भक्त सावन माह में शिवलिंग में जलाभिषेक के साथ पूजा अर्चना कर भगवान शिव का आर्शीवाद लेने आते हैं। यहां हर साल शिवरात्रि पर लाखों की संख्या में भक्त मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं सावन माह में शिव भक्त छोटा कैलाश,मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने आते हैं।

किवदंती हैं कि पिनरों स्थित छोटा कैलाश को भगवान शिव का निवास कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि सतयुग में भगवान शिव एक बार यहां आये थे, अपने हिमालय भ्रमण के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती ने इस पहाड़ी पर विश्राम किया था। महादेव के यहां पर धूनी रमाने के कारण ही तभी से यहाँ अखण्ड धूनी जलायी जा रही है. मान्यता है कि यहाँ पहुंचकर शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु यहां पर घंटी और चांदी का छत्र चढ़ाते हैं। जहां हर साल शिवरात्रि पर लाखों की संख्या में भक्त मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। वहीं सावन माह में भी रोजाना सैंकडों भक्त पूजा के लिए यहां पहुंचते हैं।