लखीमपुर-खीरी: विभिन्न रोगों में उपयोगी है जंगली लता ‘पैशन फ्लावर’
बांकेगंज/लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। प्रकृति की खूबसूरत वनस्पति है पैशन फ्लावर। इसके फलों को संरक्षित करने के लिए प्रकृति ने इसके ऊपर जाल की व्यवस्था कर रखी है। सजावटी होने के साथ ही इस खूबसूरत लता के विभिन्न भागों का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। इस लता की जंगली व सजावटी किस्में …
बांकेगंज/लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। प्रकृति की खूबसूरत वनस्पति है पैशन फ्लावर। इसके फलों को संरक्षित करने के लिए प्रकृति ने इसके ऊपर जाल की व्यवस्था कर रखी है। सजावटी होने के साथ ही इस खूबसूरत लता के विभिन्न भागों का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। इस लता की जंगली व सजावटी किस्में पूरे देश में पायी जाती हैं और इसे सजावट के लिए खुली धूप वाले स्थान पर लगाया जा सकता है।
राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञानी एवं पर्यावरणविद् डॉ राजकिशोर ने बताया कि जंगली पैशन फ्लावर का वानस्पतिक नाम पैसीफ्लोरा फोइटिडा है । इसे जंगली कृष्ण कमल, राखी लता, स्टिंकिंग पैशन फ्लावर, वाइल्ड वाटर लेमन, स्टोन फ्लावर जैसे अनेक प्रचलित नामों से भी जाना जाता है। पैशन फ्लावर लता मूल रूप से अमेरिका और मेक्सिको का पौधा है।
भारत में भी यह लगभग प्रत्येक नर्सरी में बेचा जाता है। इसका मूल पौधा हल्का नीला और सफेद सा होता था इसलिए इसे कृष्ण बेल भी कहते हैं परन्तु अब इस लता की सजावटी किस्म अनेक आकर्षक एवं मनमोहक रंगों में भी उपलब्ध है। इसे ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहां खुली धूप हो। जितनी अच्छी धूप मिलेगी उतना अच्छा यह खिलेगा। इसके फल पकने पर पीले हो जाते हैं और इन्हें खाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि पारंपरिक एवं जनजातीय चिकित्सा पद्धतियों में पैशन फ्लावर लता के विभिन्न भागों का उपयोग दस्त, ऊतक, सूजन, हैजा, बुखार, अत्यधिक प्यास लगना तथा दर्द जैसे रोगों के निवारण के लिए किया जाता है। वियतनाम की पारंपरिक चिकित्सा में सूखी पत्तियों के चूर्ण का उपयोग अनिद्रा की समस्याओं, खुजली तथा खांसी और कफ जैसे रोगों में किया जाता है। फोइटिडा लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है स्टिंकिंग। यह नाम इसे इसकी हरी पत्तियों को मसलने के बाद इससे निकलने वाली तेज गंध के कारण दिया गया है।
