बरेली: करोड़ों के टैक्स से कारोबारियों को बचाया, मिलीभगत की आशंका

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बरेली, अमृत विचार। फर्जी कंपनी बनाकर आठ करोड़ रुपये की टैक्स चोरी मामले में आशुतोष सिटी निवासी मेंथा कारोबारी अजय शर्मा की चार महीने पहले हुई गिरफ्तारी के बाद सेंट्रल जीएसटी की टीम ने शहर की कुछ अन्य फर्मों के जरिये भी इसी तरह के घोटाले की आशंका जाहिर की है। वाणिज्यकर विभाग के कुछ …

बरेली, अमृत विचार। फर्जी कंपनी बनाकर आठ करोड़ रुपये की टैक्स चोरी मामले में आशुतोष सिटी निवासी मेंथा कारोबारी अजय शर्मा की चार महीने पहले हुई गिरफ्तारी के बाद सेंट्रल जीएसटी की टीम ने शहर की कुछ अन्य फर्मों के जरिये भी इसी तरह के घोटाले की आशंका जाहिर की है। वाणिज्यकर विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत का भी अंदेशा जताया जा रहा है।

सूत्रों की मानें तो जांच में पता चला है कुछ अन्य कारोबारियों ने गड़बड़ी उजागर होने से बचने के लिए करोड़ों रुपये का टैक्स तो भरा है, लेकिन इस पूरे खेल में करोड़ों रुपये का टैक्स बचाया भी गया है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है। संरक्षण देने वालों को मोटा फायदा पहुंचाने की कोशिश हुई है। अब सीजीएसटी से जुड़े अधिकारी हर पहलू की गहनता से जांच पड़ताल में जुटे हैं। अगले सप्ताह टीम फिर बरेली पहुंच सकती हैं। ऐसे में गड़बड़ी को लेकर कई और राज खुलने की आशंका जताई जा रही है। इससे अफसरों की बेचैनी बढ़ गई है।

आईटीसी के पकड़े अधिकांश प्रकरण हो गए मैनेज
जीएसटी आने के बाद बोगस फर्म बनाकर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ उठाने के कई केस पकड़े जा चुके हैं। बीते साल नवंबर की बात करें तो बरेली और शाहजहांपुर की 22 फर्मों की जांच में बरेली जिले के देवचरा में दो फर्में फर्जी मिलीं थीं। इनमें सामान खरीदने के लिए बिल तो काटे गए मगर हकीकत में कोई सामान न खरीदा गया और न ही बेचा गया।

इतना ही नहीं बिल को अपने रिटर्न में दिखाते हुए चुकाए गए टैक्स को आईटीसी के माध्यम से वापस ले लिये जाने का पता चला था। अफसरों को जांच में मंडल में मेंथा कारोबारियों के बड़े मकड़जाल का पता चला था। इनके कनेक्शन तलाशने को दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के अफसरों से संपर्क साधने की बात वाणिज्य कर विभाग के एडिशनल कमिश्नर (एसआईबी) आरके पांडेय ने कही थी लेकिन कुछ समय बाद सभी प्रकरण अभिलेखों में दफन कर दिए गए।

कुछ इस तरह होता है खेल
जानकार बताते हैं कि टैक्स चोरी के लिए व्यापारी अपने रिश्तेदार या नौकरों के नाम से फर्जी फर्में बनाते हैं। पंजीकरण के समय अधिकारियों को दो दिन में फर्म की जांच पूरी कर रिपोर्ट देनी होती है। तीसरा दिन शुरू होते ही फर्म को खुद ही जीएसटी नंबर अलॉट हो जाता है। बोगस फर्म पंजीकृत कराने वाले अक्सर शुक्रवार शाम को ऑनलाइन आवेदन करते हैं। शनिवार और रविवार को विभाग में छुट्टी होती है। ऐसे में फर्म के कागज और स्थान का सत्यापन करने का मौका ही नहीं मिलता। सोमवार को फर्म खुद ही पंजीकृत हो जाती हैं।

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