मुरादाबाद: रक्षाबंधन पर नही भद्रा का साया, बन रहा धनिष्ठा व शोभन योग
मुरादाबाद, अमृत विचार। भाई बहन के प्यार के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया नहीं होने से बहनें पूरे दिन स्नेह की डोर से भाइयों की कलाइयां सजा सकेंगी। ज्योतिषियों के अनुसार इस साल रक्षाबंधन के दिन श्रावण पूर्णिमा, धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष …
मुरादाबाद, अमृत विचार। भाई बहन के प्यार के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया नहीं होने से बहनें पूरे दिन स्नेह की डोर से भाइयों की कलाइयां सजा सकेंगी। ज्योतिषियों के अनुसार इस साल रक्षाबंधन के दिन श्रावण पूर्णिमा, धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इन संयोग को उत्तम माना गया है। रक्षाबंधन को बनने वाले ये तीन खास संयोग भाई-बहन के लिए लाभकारी साबित होंगे।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार रक्षाबंधन के दिन 22 अगस्त को सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक शोभन योग रहेगा। यह योग शुभ फलदायी होता है। इसके साथ ही रक्षाबंधन के दिन रात 7 बजकर 40 मिनट तक धनिष्ठा योग रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास की पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त को शाम सात बजे से प्रारंभ हो रही हैं।
इसका समापन 22 अगस्त को शाम 5 बजकर 31 मिनट पर होगा। आमतौर पर भद्रा के कारण बहनों को राखी बांधने के लिए समय कम ही मिलता रहा है। इस बार भद्रा नहीं होने से राखी बांधने के लिए 12 घंटे और 11 मिनट की अवधि का दीर्घकालीन शुभ मुहूर्त है। राखी सुबह 5 बजकर 50 मिनट से शाम 6 बजकर 03 मिनट तक कभी भी बांधी जा सकेगी।
रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त
रक्षा बंधन : रविवार 22 अगस्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 21 अगस्त शाम 6.45 बजे
पूर्णिमा तिथि समापन 22 अगस्त शाम 5.58 बजे
शुभ मुहूर्त : सुबह 5.50 मिनट से शाम 6.03 मिनट
दोपहर 1.44 से 4.23 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त दोपहर 12.04 से 12.58 मिनट तक
अमृत काल सुबह 9.34 से 11.07 तक
भद्रा काल : 23 अगस्त सुबह 5.34 से 6.12 तक
लंबे समय बाद रक्षाबंधन का पर्व भद्रामुक्त मनाया जाएगा। इसके साथ ही शोभन योग को मांगलिक और शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है। इस योग में शुरू की गई यात्रा भी अत्यंत सुखद और मंगलकारी होती है। ऐसे में पूरे दिन राखी किसी भी समय बांधी जा सकेगी।-राधे श्याम पाठक, ज्योतिषाचार्य
पुराणों के मुताबिक, भद्रा सूर्यदेव की पुत्री है। यानी की शनि की बहन। कहा जाता है कि शनि की तरह ही इनका स्वभाव भी क्रोधी है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया है। इसलिए भद्रा में कोई शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।-पंडित केदार मुरारी, ज्योतिषाचार्य
रक्षाबंधन पर्व पर श्रावण पूर्णिमा, धनिष्ठा नक्षत्र और शोभन योग का शुभ संयोग निर्मित हो रहा है। शास्त्रों और ज्योतिष में इन संयोग को बेहद शुभ और अति उत्तम माना गया है। जबकि इस साल रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया भी नहीं है। रक्षाबंधन के दिन बनने वाले ये तीन खास संयोग भाई-बहन के लिए भी शुभ और कल्याणकारी साबित होंगे।-दीपक कृष्ण उपाध्याय, ज्योतिषाचार्य
