प्रयागराज : पैगंबर के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले आरोपी की याचिका खारिज

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पैगंबर-ए-इस्लाम के खिलाफ कथित आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट डालने वाले आरोपी की आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि पोस्ट में प्रयुक्त शब्द जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से धार्मिक भावनाएं आहत करने के उद्देश्य से गढ़े गए प्रतीत होते हैं।

कोर्ट ने रिकॉर्ड की सामग्री, विशेषकर आरोपी द्वारा दिए गए तर्कों का विश्लेषण करते हुए पाया कि यह तर्क कि आपत्तिजनक टिप्पणी आरोपी ने नहीं की है, यह विश्वसनीय नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बीएनएसएस की धारा 528 के तहत उच्च न्यायालय की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग संयमित रूप से किया जाना चाहिए और समन जारी करने के चरण में कोर्ट आरोपी के बचाव में जांच करने के लिए "मिनी-ट्रायल" आयोजित नहीं कर सकता है। 

उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की एकलपीठ ने मनीष तिवारी की याचिका खारिज करते हुए पारित किया। मामले के अनुसार आरोपी ने फेसबुक पर पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी की, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। जांच के बाद बीएनएस की धारा 302 और 353(2) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया और सोनभद्र के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जुलाई 2024 में समन जारी कर संज्ञान लिया। याची का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने तर्क दिया कि संबंधित मजिस्ट्रेट ने न्यायिक विवेक का प्रयोग किए बिना संज्ञान लिया है। याची ने दावा किया कि उसने पैगंबर के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की, बल्कि उसके मोबाइल नंबर का किसी निकट व्यक्ति ने दुरुपयोग किया है।

 उसे पुलिस ने झूठे मामले में फंसाया है। इस आधार पर आरोप पत्र और समन आदेश रद्द किया जाना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने याची के तर्कों को विश्वसनीय न मानते हुए मोबाइल नंबर के दुरुपयोग के मुद्दे को तथ्यात्मक मुद्दा बताया, जिसका परीक्षण ट्रायल कोर्ट में साक्ष्यों के आधार पर होगा, न कि बीएनएसएस की धारा 528 के तहत रद्दीकरण कार्यवाही में। अंत में याची के तर्कों में बल ना पाते हुए याचिका खारिज कर दी गई।

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