बरेली: हास्य, व्यंग्य और भावनाओं से सराबोर नाटक इनसे मिलिए का मंचन
बरेली, अमृत विचार। एसआरएमएस ऋद्धिमा में गुरुवार को हास्य, व्यंग और भावनाओं का संगम नाटक इनसे मिलिए का मंचन किया गया। नाटक का निर्देशन फिल्म जगत के जाने माने अभिनेता सलीम शाह ने किया। नाटक की शुरूआत श्यामनाथ नाम के व्यक्ति से शुरू होती है। जोकि अपने बॉस के लिए रात्रिभोज की मेजबानी कर रहे …
बरेली, अमृत विचार। एसआरएमएस ऋद्धिमा में गुरुवार को हास्य, व्यंग और भावनाओं का संगम नाटक इनसे मिलिए का मंचन किया गया। नाटक का निर्देशन फिल्म जगत के जाने माने अभिनेता सलीम शाह ने किया। नाटक की शुरूआत श्यामनाथ नाम के व्यक्ति से शुरू होती है। जोकि अपने बॉस के लिए रात्रिभोज की मेजबानी कर रहे हैं। खर्राटे लेने की वजह से श्यामनाथ अपनी मां को पड़ोस में जाने के लिए बोल देता है। रात में डिनर के बाद बॉस घर जा रहे थे कि उनकी नजर कुर्सी पर बैठी एक बुढ़िया पर पड़ती है जो जोर—जोर से खर्राटे लेकर सो रही है।
श्यामनाथ को लगा आज तो गई नौकरी। तभी श्यामनाथ के बॉस माता जी के पास जाकर उनसे हाथ मिलाते हैं और कहते हैं कि आप कैसी हो माता जी। श्यामनाथ अपने बॉस से कहते हैं कि मां गांव की है इसीलिए घबरा रही हैं। आगे बॉस बोलते हैं कि गांव मुझे बहुत पसंद हैं। वह माताजी से मिलकर बहुत प्रसन्न होता है और इससे श्यामनाथ भी अब तक जिस मां को पड़ोस में जाने का बोल रहे थे अब उनके गले लगकर खुश हो जाते हैं।
नाटक में अगली कहानी एक ऐसी महिला की है जो उसके ससुरलवालो की नजर में बांझ है। इसीलिए उसकी सास और पति एक ढोंगी बाबा के पास उसे ले जाते हैं जो शक्तियों से बच्चा पैदा करने का दावा करता है। ढोंगी बाबा महिला को दो हफ्ते बाद अपने आश्रम में बुलाता है और उसके साथ दुष्कर्म करता है। वहीं तीसरी कहानी हास्य से भरपूर रही जिसमे दिखाया गया कि कैसे एक जिहादी मानसिकता का व्यक्ति शहादत के नाम पर लोगों को मरता है। अंत में जब खुद उसके लोग उसकी शहादत की तैयारी कर लेते हैं तब समझ आता है कि जो उसने शहादत के नाम पर किया वह गलत था।
पहली कहानी सलीम शाह ने, दूसरी कहानी वाणी कुमार और तीसरी कहनी को ऋषभ वर्मा ने मोनोलॉग के जरिए परिभाषित किया। सभागार में एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति , आशा मूर्ति , आदित्य मूर्ति , ऋचा मूर्ति और शहर के संभ्रांत लोग मौजूद रहे।
