जंगलों के बीच परियों का ताल..जहां आज भी लोग नहाने से परहेज करते हैं

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उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक ऐसा ताल है, जो अपने आप में रहस्यमयी और रोमांचक है। इस ताल के बारे में वैसे कम ही लोगों को  जानकारी है। इस रहस्यमयी रोमांचक ताल का नाम है परी ताल। भीमताल से लगभग आठ किलोमीटर दूरी पर चांफी नाम का गांव पड़ता है। बस यहीं से इस …

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक ऐसा ताल है, जो अपने आप में रहस्यमयी और रोमांचक है। इस ताल के बारे में वैसे कम ही लोगों को  जानकारी है। इस रहस्यमयी रोमांचक ताल का नाम है परी ताल। भीमताल से लगभग आठ किलोमीटर दूरी पर चांफी नाम का गांव पड़ता है। बस यहीं से इस रोमांचक यात्रा की शुरूवात होती है।

चांफी गाव से आगे कलशा नामक नदी पड़ती है। यहां से परी ताल लगभग 2 किलोमीटर दूर पड़ता है। परी ताल का रास्ता बहुत ही रोमांचक और खतरों से भरा हुआ है। परी ताल कलशा नदी के पार पड़ता है। कलशा नदी को पार करने के लिए, बड़े बड़े पत्थर और फिसलन भरे मार्ग से जाना पड़ता है।

परी ताल

परियों की झील को लेकर प्रचलित कहानी
स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार ,और लोक कथाओं के अनुसार यह उत्तराखंड का एक रहस्यमयी ताल है , क्योकि यहां कि मान्यता है कि यहां पूनम की रात को परिया स्नान करने के लिए आती हैं । और पुराने लोगो की मान्यता के अनुसार , स्थानीय लोगो ने परियों को यहां से निकलते देखा था। इसलिये इस ताल का नाम परी ताल है। या परियों की झील कहां जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार पुराने समय मे काठगोदाम में लकड़ियों का गोदाम था, और नदी मार्ग परिवहन से लकड़ियों के गिल्टों को मैदानी क्षेत्रों में भेजते थे। उस समय एक परंपरा थी, कि गिल्टों की सुरक्षित यात्रा के लिये , बकरे की बलि दी जाती थी।

परन्तु एक ठेकेदार ने यह परंपरा निभाने से इंकार कर दिया। कहते हैं उसके 5000 लकड़ी के गिल्टे गायब हो गए। जब ठेकेदार को अपनी गलती का अहसास हुवा, तो वह माफी मांग कर बलि के लिए तैयार हुआ ,तो उसके लाग चमत्कारी रूप से परी ताल से मिल गए।

यह ताल अपनी रहस्यमयी लोक कथाओं के कारण इस ताल को शुभ माना जाता है। इसकी मान्यता है कि यहां देव परिया स्नान करती हैं। इसलिए स्थानीय लोग यहां डुबकी लगाने या स्नान करने से परहेज करते हैं। परीताल की वास्तविक गहराई ज्ञात नही हैं।

इस झील के आस पास कुछ चट्टानें काले रंग की होती हैं, जिन्हें शिलाजीत युक्त चट्टान माना जाता है। साल में जनवरी फरवरी में भारी संख्या में यहां लंगूर आते हैं। जो शिलाजीत को चूसने के लिए चट्टानों से चिपक जाते हैं।

परी ताल

परी ताल बहुत बड़ा नही है, लेकिन इसकी रहस्यमयी कथाओ और रोमांचक भौगोलिक परिस्थितियों, और प्राकृतिक सुंदरता लाजवाब है। ताल के चारों ओर की विशाल चट्टानें इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। इस ताल के ऊपर एक झरना है। इस झरने का पानी झील में भंवर बनाता है। इस ताल की एक और बड़ी विशेषता है कि , इस ताल के पास पहुंचने पर भी यह ताल जैसा प्रतीत ही नहीं होता।

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