हल्द्वानी: जैविक खेती का अजूबा, प्रगतिशील किसान नरेंद्र सिंह मेहरा ने एक पौध से उगाई 15 किलो काली हल्दी

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संजय पाठक, अमृत विचार, हल्द्वानी। उत्तराखंड के किसान अब रासायनिक खेती छोड़ धीरे-धीरे ऑर्गेनिक खेती की ओर काम कर रहे हैं। जिससे लोगों तक जैविक उत्पाद पहुंच सकें और लोगों की सेहत के साथ-साथ खेतों की उर्वरा शक्ति भी ठीक हो सके। साथ ही किसानों की आमदनी में भी इजाफा हो सके। ऐसे में हल्द्वानी …

संजय पाठक, अमृत विचार, हल्द्वानी। उत्तराखंड के किसान अब रासायनिक खेती छोड़ धीरे-धीरे ऑर्गेनिक खेती की ओर काम कर रहे हैं। जिससे लोगों तक जैविक उत्पाद पहुंच सकें और लोगों की सेहत के साथ-साथ खेतों की उर्वरा शक्ति भी ठीक हो सके। साथ ही किसानों की आमदनी में भी इजाफा हो सके। ऐसे में हल्द्वानी से सटे गौलापार के रहने वाले प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने जैविक खेती के दम पर कमाल कर दिखाया है। नरेंद्र मेहरा ने एक पौधे से करीब 15 किलो काली हल्दी का उत्पादन करने का दावा किया है। इतनी बढ़ी मात्रा में हल्दी का उत्पादन क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

जैविक खेती करने वाले प्रगतिशील किसान नरेंद्र सिंह मेहरा।

बताते चलें कि इससे पहले किसान नरेंद्र मेहरा के द्वारा विकसित किए गए गेहूं की उन्नत प्रजाति नरेंद्र 09 को भारत सरकार ने मान्यता दी है। नरेंद्र 09 को 2017 में पेटेंट किया गया था, तकरीबन साढे़ चार साल बाद भारत सरकार ने नरेंद्र 09 को किसान नरेंद्र मेहरा के नाम रजिस्टर कर दिया। लंबे समय से जैविक खेती के लिए काम कर रहे नरेंद्र मेहरा वर्षा आधारित धान बीज पंत-12 में गोंद कतीरा तकनीक के प्रयोग के साथ ही ऑर्गेनिक आलू और अदरक की पैदावार भी कर चुके हैं। खेती में सफल प्रयोग और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नरेंद्र मेहरा को राज्य सरकार के साथ कई अन्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।

औषधीय गुणों से भरपूर है काली हल्दी
किसान नरेंद्र सिंह मेहरा ने बताया कि उम्मीद नहीं थी कि एक कंद से 15 किलो तक काली हल्दी का उत्पादन हो सकता है। इसके लिए वर्मी कंपोस्ट, पंचगव्य, गो मूत्र, नीम की पत्तियों का अर्क का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि छायादार जगह पर हल्दी की जैविक खेती की जा सकती है। बताया कि काली हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। काली हल्दी का उपयोग केंसर जैसी दवाइयां बनाने के साथ सौंदर्य प्रसाधन के उत्पाद बनाने में होता है।

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