हल्द्वानी: ढाई सालों में 3,219 दुर्घटनाओं में 1951 लोगों ने गंवाई जान
बबीता पटवाल, हल्द्वानी, अमृत विचार। सड़क हादसे रोकने का जितना प्रयास हो रहा है वो नाकाफी है। मैदान से लेकर पहाड़ों तक सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। पर्वतीय क्षेत्र में सड़क दुर्घटनायें सामान्य बात हो गयी हैं। उतार-चढ़ाव वाले मार्गों पर वाहन चलाना मुश्किल काम है। ऐसे में विभागीय आंकड़ों पर एक नजर डाली जाए तो …
बबीता पटवाल, हल्द्वानी, अमृत विचार। सड़क हादसे रोकने का जितना प्रयास हो रहा है वो नाकाफी है। मैदान से लेकर पहाड़ों तक सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। पर्वतीय क्षेत्र में सड़क दुर्घटनायें सामान्य बात हो गयी हैं। उतार-चढ़ाव वाले मार्गों पर वाहन चलाना मुश्किल काम है। ऐसे में विभागीय आंकड़ों पर एक नजर डाली जाए तो पिछले ढाई सालों में लगभग 3219 दुर्घटनाओं में 1951 लोगों की जान गई है, जबकि 2,659 लोग घायल हुए हैं। विभाग के आंकड़ों के अनुसार ऊधमसिंह नगर व देहरादून दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्रों में सबसे आगे है।
पर्वतीय मार्गों पर वाहनों की भीड़-भाड़ बढ़ने के कारण वाहन दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। वाहन चालकों की अकुशलता, अक्षमता व अदूरदर्शिता के कारण सर्वाधिक वाहन दुर्घटनाएं होती हैं। इन दुर्घटनाओं में अब तक कई यात्री काल का ग्रास बन चुके हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में यात्रा अब सुरक्षित नहीं रही।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वाहन चालकों की अनेक कठिनाइयां हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन चलाने के लिए पर्वतीय मार्गों पर वाहन चलाने का अभ्यास होना चाहिए। लेकिन ऐसे चालक जिन्हें सिर्फ मैदानी क्षेत्रों में वाहन चलाने का अनुभव होता है वे पर्वतीय मार्गों पर वाहन चलाने में अपने को सक्षम नहीं पाते हैं। पर्वतीय क्षेत्र में वाहन चलाने की अधिकतम गति निर्धारित है किन्तु जल्दी पहुंचने के चक्कर में वाहनों की गति पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है।
हम हमेशा चालकों को दोष देते हैं, लेकिन सड़कों का सही मानकों में निर्माण नहीं होने के कारण भी कई बार वाहन बड़े दुर्घटनाओं को कारण बनते हैं। सड़कों के किनारे कई बार पैराफिट भी मौजूद नहीं होते। – नंद किशोर, आरटीओ, प्रर्वतन
जिले में कुछ दुर्घटनाओं की संख्या
जिला दुर्घटना मृतक घायल
हरिद्वार 765 487 600
यूएसनगर 845 556 550
पिथोरागढ़ 33 15 37
नैनीताल 445 195 395
चमोली 25 23 19
उत्तरकाशी 45 64 63
बागेश्वर 13 9 23
अल्मोड़ा 31 20 85
पौढ़ी 83 52 137
देहरादून 784 342 579
चंपावत 29 29 39
टिहरी 98 134 112
रुद्रप्रयाग 23 25 20
(परिवहन विभाग के आंकड़े)
