सम्मेलन और चुनौतियां

सम्मेलन और चुनौतियां

दुनिया आज अस्थिरता, अनिश्चितता और असुरक्षा के बढ़ते कारकों का सामना कर रही है। ऐसे में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का शिखर सम्मेलन शुक्रवार को बीजिंग में हो रहा है। इस बार यह वर्चुअल प्रारूप में होगा। यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन पहली बार किसी …

दुनिया आज अस्थिरता, अनिश्चितता और असुरक्षा के बढ़ते कारकों का सामना कर रही है। ऐसे में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का शिखर सम्मेलन शुक्रवार को बीजिंग में हो रहा है। इस बार यह वर्चुअल प्रारूप में होगा। यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन पहली बार किसी बड़े सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं।

पूरी दुनिया की नजर पुतिन के बयान पर रहेगी। हालांकि सम्मेलन में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर चर्चा होने की संभावना नहीं है। क्योंकि पहले भी भारत और चीन इस मसले पर खुलकर बोलने से बचते रहे हैं। इस बार सम्मेलन की थीम है ‘नए युग में वैश्विक विकास साझेदारी का निर्माण करें, हाथ मिलाकर सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा का कार्यान्वयन करें’।

अपनी स्थापना के सोलह वर्ष बाद ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के विकास, वैश्विक शासन में सुधार और साझा विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति होने की स्थिति रखता है। ब्रिक्स विश्व के पांच सबसे बड़े विकासशील देशों को एक साथ लाता है, जो वैश्विक आबादी के 41 प्रतिशत, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 24 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार के 16 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। ब्रिक्स देशों की अध्यक्षता इस समय चीन के पास है।

ब्रिक्स समूह एक सीमा तक सफल रहा है, लेकिन इसके समक्ष कई चुनौतियां भी विद्यमान हैं, जैसे सदस्य देशों के भीतर संघर्ष या समूह की चीन-केंद्रीयता। चीन के वृहद आर्थिक उभार ने ब्रिक्स के भीतर एक गंभीर असंतुलन पैदा किया है। माना जा रहा है कि सम्मेलन में चीन अपनी नई वैश्विक सुरक्षा पहल के लिए समर्थन प्राप्त करने की कोशिश करेगा। ब्रिक्स समूह के सभी देश एक-दूसरे की तुलना में चीन के साथ अधिक व्यापार करते हैं, इसलिए इस पर चीन के हित को बढ़ावा देने वाला मंच होने का आरोप लगाया जाता है।

चीन के साथ व्यापार घाटे को संतुलित करना अन्य भागीदार देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। माना जा रहा है कि सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वी लद्दाख और सीमा पर गतिरोध के मसले उठाकर चीन पर पलटवार कर सकते हैं। साथ ही वे चीन द्वारा किए जा रहे अवैध निर्माण का मसला भी उठा सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि ब्रिक्स वैश्विक विकास को और मजबूती प्रदान कर सकेगा। इसके लिए ब्रिक्स देशों के लिए वैश्विक सुरक्षा और विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति और परिणामों तक पहुंचना आवश्यक है।