महंगाई पर लगाम जरूरी

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देश में जिस तरीके से महंगाई बढ़ती जा रही है, वह चिंता का विषय है। खाने पीने की चीजों से लेकर रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मई 2022 में 171.70 अंक के मुकाबले जून 2022 में बढ़कर 172.60 अंक हो गया। जून महीने में ही मुद्रा …

देश में जिस तरीके से महंगाई बढ़ती जा रही है, वह चिंता का विषय है। खाने पीने की चीजों से लेकर रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मई 2022 में 171.70 अंक के मुकाबले जून 2022 में बढ़कर 172.60 अंक हो गया। जून महीने में ही मुद्रा स्फीति की दर 7.01 फीसद रही। इसमें खाद्य मंहगाई की दर 7.75 फीसद थी।

सरकार ने 2013 में थोक मूल्य सूचकांक की जगह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का प्रचलन शुरु किया था। इसमें खाने पीने की चीजों का प्रतिशत ज्यादा है। जीएसटी परिषद के फैसले के बाद सोमवार से कई जरुरी तथा आम आदमी के इस्तेमाल में आने वाली खाने पीने की चीजें जीएसटी के दायरे में आ गई है। गेहूं, सोयाबीन, सूखा मखाना, शहद, दही और पनीर जैसे खाद्य पदार्थो पर पांच फीसद की जीएसटी लगा दी गई है।

होटलों में जो कमरे एक हजार रूपए प्रतिदिन से कम किराए पर मिलते थे, उन पर भी 12 फीसद की जीएसटी देनी पड़ेगी। बैटरी या उसके बिना इलेक्ट्रिल वाहनों को भी पांच फीसद जीएसटी के दायरे मे लिया गया है। सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि अगर दाल, आटा या अन्य अनाज पैकेट में बेचा जा रहा है और उसका वजन 25 किलोग्राम या उससे कम वजन का है, तो उस पर जीएसटी लगेगी, लेकिन अगर वजन उससे ज्यादा है, तब जीएसटी नहीं लगेगी।

इसी तरह बिना ब्रांड के जो सामान खुले में बिक रहे है, उन पर जीएसटी नहीं लगाई जाएगी। कुल मिला कर देखा जाए तो आम आदमी के रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ी चीजे जो अभी तक जीएसटी के दायरे से बाहर थी, अब जीएसटी के दायरे में आ गईं है। जाहिर सी बात है, उनकी कीमतों में भी इजाफा होगा।

कोविड के कारण लॉकडाउन से आम आदमी पहले से ही त्रस्त था। ज्यादातर कंपनियों ने लोगों को नौकरी से निकाल दिया। कर्मचारी पे-कट यानी कम वेतन पर काम करने को मजबूर किए गए। इस बीच, स्कूलों (निजी स्कूलो) को फीस बढ़ाने की छूट दे दी गई। दवाईयों पर भी दाम बढ़ा दिए गए। अस्पताल से जुड़ी चीजों के दाम बढ़े। पेट्रोल और डीजल के दाम पहले से ही आसमान पर थे।

घरेलू रसोई गैस सिलेन्डर के दामों में हाल के वर्षो में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। कुल मिलाकर निम्म वर्ग और मध्यम वर्ग बुरी तरह से त्रस्त है। सरकार का व्यय विभाग मुफ्त खाद्यान्न योजना का पहले ही विरोध कर चुका है। आम आदमी के लिए बड़ी मुश्किल है। सरकार को इस पर समय रहते गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए।

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