सत्यनारायण कथा उद्गम स्थल है यह तीर्थस्थल, इसके बगैर अधूरी है चार धाम की यात्रा…जानें
लखनऊ। राजधानी लखनऊ से करीब 57 मील दूर सीतापुर जनपद स्थित तीर्थ राज नैमिषारण्य एक पवित्रस्थान है। यह वो स्थान है जहां पर महापुराण लिखे गए और पहली बार सत्यनाराण की कथा की गई। बता दें कि इस तपोस्थली का वर्णन वेदों में नहीं बल्कि पुराणों में भी पाया जाता है। कहा जाता है कि …
लखनऊ। राजधानी लखनऊ से करीब 57 मील दूर सीतापुर जनपद स्थित तीर्थ राज नैमिषारण्य एक पवित्रस्थान है। यह वो स्थान है जहां पर महापुराण लिखे गए और पहली बार सत्यनाराण की कथा की गई। बता दें कि इस तपोस्थली का वर्णन वेदों में नहीं बल्कि पुराणों में भी पाया जाता है। कहा जाता है कि नैमिषारण्य की यात्रा के बिना चार धाम की यात्रा भी अधूरी होती है। हम आपको बताते हैं इस तपोस्थली के बारे में…
ललिता देवी मंदिर के आचार्य करन का कहना है कि नैमिषारण्य ,ऐसी तपोस्थली है। जहां पर महर्षि दधीचि ने जनकल्याण हेतु अपने वैरी देवराज इंद्र को अपनी अस्थियां दान की थीं। उन्होंने बताया कि नैमिषारण्य का नाम नैमिष वन की वजह से रखा गया है। इसके पीछे एक यह भी कहानी है कि महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद ऋषि-मुनि कलियुग के आरम्भ को लेकर काफी परेशान थे।
इसके बाद ऋषि-मुनियों ने ब्रह्मा जी से आग्रह किया और ऐसे स्थान के बारे में पूछा जिसका प्रभाव कलियुग पर न पड़े। तब ब्रह्माजी ने एक पवित्र चक्र पृथ्वी की तरफ घुमाते हुए कहा कि ये चक्र जिस स्थान पर रुकेगा वो स्थान कलियुग के प्रभाव से मुक्त रहेगा। बता दें कि ब्रह्मा जी का चक्र नैमिष वन में आकर रुका और ऋषि-मुनियों ने इस स्थान को तपोस्थली बनाया।
वहीं आचार्य सत्यदेव ने बताया कि नैमिषारण्य सनातन धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ है। यह सतयुग का तीर्थस्थल है। सभी देवी-देवता नैमिषारण्य में विराजमान हैं। ऐसा कोई देवता नहीं है जो नैमिषारण्य न आया हो। चार वेद और 18 पुराणों में नैमिषारण्य का वर्णन है। नैमिषारण्य तपोभूमि है, यहां पर 88 हजार ऋषि-मुनियों ने तप किया है।
सत्यनारायण कथा का उद्गम नैमिषारण्य है। उन्होंने बताया कि ब्रह्मा जी ने इस स्थल को योग हेतु सबसे उत्तम बताया था। यही नहीं रामचरित मानस में भी नैमिष का उल्लेख हैं असल में भगवान श्रीराम ने इस तपोस्थली पर अपना अश्वमेध यज्ञ संपूर्ण किया था। इसके अलावा महाभारत काल में युधिष्ठिर और अर्जुन भी इसी तपोस्थली में आए थे।
आचार्य जितेंद्र जोशी ने बताया कि नैमिषारण्य में चक्रतीर्थ, भेतेश्वरनाथ मंदिर, व्यास गद्दी, हवन कुंड, ललिता देवी का मंदिर, पंचप्रयाग, शेष मंदिर, क्षेमकाया, मंदिर, हनुमान गढ़़ी, शिवाला-भैरव जी मंदिर, पंच पांडव मंदिर, पंचपुराण मंदिर, मां आनंदमयी आश्रम, नारदानन्द सरस्वती आश्रम-देवपुरी मंदिर, रामानुज कोट, अहोबिल मंठ और परमहंस गौड़ीय मठ आकर्षण का केंद्र हैं। रोजाना लाखों श्रृद्धालु दर्शन के लिए तपोस्थली में आते हैं।
यह भी पढ़ें:- सीतापुर: रात होते ही अंधेरे में डूब जाते हैं नैमिषारण्य के कई इलाके, जानें वजह?
