कानपुर : देश भक्ति का जज्बा, 25 करोड़ के बिके तिरंगे
कानपुर, अमृत विचार। आजादी के 75वें साल को शहरवासी यादगार मनाने की तैयारी कर रहे हैं। पूरे शहर को तिरंगामय किया जा रह है। घरों और दुकानों पर तिरंगा लगाने को लेकर लोगों में काफी जोश है। इसके चलते दो सालों से ठंडे पड़े झंडे के कारोबार को बूस्ट मिल गया है। शॉटन और खादी …
कानपुर, अमृत विचार। आजादी के 75वें साल को शहरवासी यादगार मनाने की तैयारी कर रहे हैं। पूरे शहर को तिरंगामय किया जा रह है। घरों और दुकानों पर तिरंगा लगाने को लेकर लोगों में काफी जोश है। इसके चलते दो सालों से ठंडे पड़े झंडे के कारोबार को बूस्ट मिल गया है। शॉटन और खादी के झंडे की मांग तो इतनी बढ़ी की फैक्ट्रियां इसे पूरा नहीं कर पा रही हैं। दूसरे प्रदेशों से मंगाकर इसको पूरा किया जा रह है। व्यापारियों का कहना है कि इस दफा तिरंगा झंडे 25 करोड़ रुपये से अधिक के बिके हैं।
पचास से अधिक वैरायटी
झंडे की बड़ी मार्केट मेस्टन रोड और चौक के कारोबारियों का कहना है कि इस करीब पचास से अधिक वैरायटी की डिमांड है। झंडे तो अधिक बिक ही रहे हैं, सबसे अधिक टोपी और टीशर्ट की मांग है। इसके साथ ही मेटल बैच, तिरंगा बैच, ब्रेसलेट, चुन्नी समेत कई वैरायटी दुकानों में बिक रही हैं। यह दस रुपये से लेकर चार सौ रुपये तक में उपलब्ध हैं।
खादी के झंडे की अधिक मांग
मार्केट में कई कपड़ों में तिरंगे के झंडे उपलब्ध हैं। इसमें शॉटन, खादी, टेरीकॉट शामिल हैं। लेकिन सबसे अधिक झंडे खादी के बने बिक रहे हैं। लोगों का कहना है कि खादी के झंडे की बात ही अलग है। शॉटन के झंडे कुछ हल्के होते हैं।
लोकल फैक्ट्रियां पूरा नहीं कर पा रही डिमांड
मेस्टन रोड में झंडे के थोक व्यापारी नीरज शर्मा बताते हैं कि तिरंगा झंडे की डिमांड बीते एक सप्ताह से अधिक हुई है। पंद्रह से लेकर दो सौ रुपये तक के झंडे बिक रहे हैं। कपड़ों की वैरायटी के अनुसार इनके दाम रखे गए हैं। लोकल से तो झंडी लिए ही जा रहे हैं, साथ ही सूरत और दिल्ली से भी इनको मंगाया गया है। स्थानीय फैक्ट्रियों में आर्डर खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। अब सिर्फ दो दिन का और कारोबार बचा हुआ है।
सरकारी विभागों ने बनवाए 8.50 लाख झंडे
हर घर तिरंगा के तहत सरकारी विभाग की ओर से भी लोगों को झंडे दिए जा रहे हैं। सरकारी विभागों ने कई स्वयं सेवी समूहों को झंडे बनाए जाने का लक्ष्य दिया था। डूडा, नगर निगम, जिला उद्योग केंद्र, वस्तु एवं सेवा कर विभाग समेत कई विभागों ने झंडे बनाए हैं। सब मिलाकर आठ लाख पचास हजार झंडे बनाए गए हैं।
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