मोदी को निशाने पर रखने वाले स्वामी और ममता की इस तस्वीर के इशारे समझिए

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) की एक मुलाकात की तस्वीर की चर्चा सियासी गलियारों में हो रही है। वह गुरुवार को कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से मिले। उन्हें करिश्माई नेता बताते हुए मुलाकात की तस्वीर भी ट्वीट की। इसके बाद …

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) की एक मुलाकात की तस्वीर की चर्चा सियासी गलियारों में हो रही है। वह गुरुवार को कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से मिले। उन्हें करिश्माई नेता बताते हुए मुलाकात की तस्वीर भी ट्वीट की। इसके बाद अटकलें तेज हो गई कि कहीं स्वामी अब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन तो नहीं थामने जा रहे। हाल के दिनों में दूसरे दलों के कई नेता अपनी पार्टियां छोड़कर TMC में शामिल हुए हैं, ऐसे में सुब्रमण्यम स्वामी और ममता बनर्जी की मुलाकात के बाद कई सवाल उठने लगे हैं। बता दें कि स्वामी और बनर्जी के बीच मुलाकात करीब 30 मिनट तक चली।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने को ट्वीट किया, आज मैं कोलकाता में था और करिश्माई नेता ममता बनर्जी से मिला। वह एक साहसी शख्स हैं। मैंने सीपीएम के खिलाफ उनकी लड़ाई की प्रशंसा की, जिसमें उन्होंने कम्युनिस्टों का सफाया कर दिया था।

सुब्रह्मण्यम स्वामी पिछले काफी समय से मोदी सरकार पर हमलावर हैं। वह कभी मंदिरों पर सरकार के नियंत्रण को लेकर तो कभी एलएसी पर चीन की आक्रामकता तो कभी अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा करते दिख रहे हैं।
ममता को करिश्माई नेता बताने के अगले दिन शुक्रवार को उन्होंने बिना किसी का नाम पर इशारों हमला किया। उन्होंने ट्वीट किया कि हिंदू दो तरह के होते हैं- एक भगवान राम की तरह और दूसरे राक्षस रावण की तरह। मंदिरों पर सरकार के नियंत्रण का मतलब है कि आप रावण वाले हिंदू हैं।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बीजेपी संसदीय बोर्ड के पुनर्गठन को लेकर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा था। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले संसदीय बोर्ड में पदाधिकारियों को भरे जाने के लिए चुनाव होते थे। पार्टी संविधान के हिसाब से यह जरूरी होता था लेकिन आज बीजेपी में कोई चुनाव नहीं होता। हर पद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी से नेताओं को मनोनीत किया जाता है।

स्वामी की तरफ से बीजेपी और मोदी सरकार की लगातार आलोचना और ममता बनर्जी की तारीफ के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। वैसे यह कोई पहली बार नहीं है जब स्वामी ने दीदी की तारीफ की है। पिछले साल नवंबर में उन्होंने ट्वीट करके ममता बनर्जी की तारीफ की और उन्हें जेपी और राजीव गांधी के कद का नेता बताया था। तब स्वामी ने ट्वीट किया था, मैं जितने भी राजनेताओं से मिला या उनके साथ काम किया, उनमें से ममता बनर्जी जेपी, मोरारजी देसाई, राजीव गांधी, चंद्रशेखर, और पीवी नरसिंह राव के कद की हैं। इन नेताओं की कथनी और करनी समान थी। भारतीय राजनीति में यह दुर्लभ गुण है।

लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने वाली ममता बनर्जी अब टीएमसी का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने की कोशिशों में हैं। वह बंगाल से इतर दूसरे राज्यों में अन्य पार्टियों के नेताओं को टीएमसी में जगह दे रही हैं। उसी कड़ी में दीदी ने कभी बीजेपी के कद्दावर नेता रहे यशवंत सिन्हा को पार्टी में शामिल कराया था लेकिन विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद उन्होंने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया था। सवाल ये है कि क्या स्वामी अब सिन्हा की जगह लेंगे?

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